आज से चैत्र नवरात्रों की शुरुआत हो चुकी है. माता रानी के भजनों के साथ हर घर में भक्त मां भगवती को रिझाने में लगे हैं. माता रानी का एक ऐसा सदाबहार गीत बॉलीवुड ने दिया, जिसको 40 साल से लोग उसी भाव से सुन रहे हैं. गाने के बोल हैं ‘चलो बुलावा आया है… माता ने बुलाया है’. 1983 में आई फिल्म ‘अवतार’ ये गीत सुपरहिट साबित हुआ. क्या आप जानते हैं कि नवरात्र से पहले ये फिल्म रिलीज हुई थी और इस इमोशनल देवी गीत ने धून मचा दी थी और इसी फिल्म के बदौलत एक बार फिर राजेश खन्ना सुपरस्टार बन गए थे.
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बॉलीवुड में एक्शन, रोमांस और पारिवारिक फिल्में एक नहीं, कई देखने को मिली. लेकिन कुछ फिल्में ऐसी बनीं, जिन्होंने इमोशन्स से लोगों का दिल जीत लिया. बॉलीवुड में पारिवारिक फिल्में बनीं, जिनको लोगों ने काफी प्यार दिया, फिर 60 के दशक में बनीं ‘खानदान’ और ‘घराना’ जैसी फिल्में हो या 90 के दशक में आई ‘हम आपके हैं कौन’. 80 के दशक में जब एक्शन फिल्मों का बोलबाला था, तब एक फिल्म रिलीज हुए ‘अवतार’. ये फिल्म इतनी सफल हुई कि इस फिल्म ने पारिवारिक फिल्मों को दौर वापस लौटा दिया.
क्या है ‘अवतार’ की कहानीनमक का कर्ज अदा करने वाले सेवक और एक लाचार मालिक, जिसके बेटे बुरे वक्त में पिता का साथ छोड़ देते हैं. दोनों के भावुक रिश्ते को दर्शाती फिल्म ‘अवतार’ ड्रामा फिल्म होने के बाद भी दर्शकों को वास्तविकता का एहसास कराती है. फिल्म में शबाना आजमी के साथ-साथ राजेश खन्ना मालिक के भूमिका में थे. वहीं, सेवक की भूमिका में थे सचिन ने, बेटों की भूमिका में गुलशन ग्रोवर और शशि पुरी थे. 11 मार्च 1983 को रिलीज हुई इस फिल्म का निर्देशन मोहन कुमार ने किया था.
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फिल्मों में दिखाया बुरे दौर में बदलते रिश्तेंइस फिल्म की सफलता के बाद फिल्ममेकर्स ने बहुत सी ऐसी ही कहानी बनाई, जिसमें बुरे दौर में बदलते रिश्तों को दिखाया गया है कुल मिलाकर कहा जाए तो लोगों को पर्दे पर दिखाया गया था, ‘बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया.’
‘चलो बुलावा आया है… माता ने बुलाया है’ से नरेंद्र चंचल को मिली पहचानइस फिल्म का एक गीत काफी फेमस हुआ. गीत के बोल थे, ‘चलो बुलावा आया है… माता ने बुलाया है’. ये गीत आज भी माता की भेटों में पहले नंबर पर गाया जाता है. इस गीत से गायक नरेंद्र चंचल को जबरदस्त पहचान मिली थी. कहते हैं इस गाने के बाद हर साल वैष्णो देवी में होने वाले उनके जगराते में लोगों की भीड़ बढ़ती गई.
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राजेश खन्ना के डूबते करियर को इस फिल्म ने दिया था सहारा
अराधना’ फिल्म से बॉलीवुड के सुपरस्टार बनने वाले राजेश खन्ना 1980 आते-आते तक उदास रहने लगे थे. कारण था उनका स्टाइल. स्टाइल पुराना हो रहा था और अमिताभ बच्चन सुपरस्टार बन गए थे और फिल्म मेकर्स की पहली पसंद बिग बी बनते जा रहे थे. निर्माता-निर्देशक मोहन कुमार भी अपनी नई फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन को फाइनल कर चुके थे, लेकिन फिर फिल्म में राजेश खन्ना की एंट्री हो गई. हालात कुछ ऐसे बने कि फिल्म का प्रस्ताव लेकर खुद निर्देशक साहब राजेश खन्ना के पास आ गए. राजेश के पास फिल्म का ऑफर आया, तो वह इस बात को समझ नहीं पा रहे थे कि मुश्किल दौर में मिली इस फिल्म के लिए हां कहा जाए या ना कहा जाए. फिल्म में बूढ़े शख्स का रोल निभाना था और यहीं बात फस रही था. न कहते तो फिल्म हाथ से निकल जाती और हां कहते को फिल्म में भरी जवानी में बूढ़ा बनना था. उन्होंने हां कहा और पर्दे पर उन्होंने धमाल मचा दिया. पर्दे पर ‘अवतार कृष्ण’ के रूप में उन्हें (राजेश) को देख आंसू रोक नहीं पाते थे, ये वो फिल्म थी, जिसे नौजवानों से ज्यादा उनके मां-बाप पसंद कर रहे थे. बॉक्स ऑफिस पर भूचाल सा आ गया था और वो लोग मुंह ताकते रह गए थे, जो कह रहे थे, ‘बस अब राजेश खन्ना का समय चला गया’.
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नंगे पांव माता के दरबार में पहुंचे थे राजेश खन्ना
इस गाने की शूटिंग के लिए साल 7 मार्च 1982 को डायरेक्टर साहब, राजेश खन्ना और शबाना आजमी कटरा पहुंचे. तब वहां कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. मुंबई से अगर वो कोई बच्चा लाते, तो उन्हें डर था कि वो वहां जाकर कहीं बीमार न पड़ जाए. इसलिए उन्होंने शूटिंग में एक कूली के बच्चे को ले लिया. ताकि वो यहां के नेचर को बर्दाश्त कर सके. शूटिंग के दिन राजेश खन्ना और शबाना दोनों नंगे पैर माता के दरबार को ओर बढ़ने लगे. यात्रा के सभी पड़ाव पूरे करने के बाद, फिल्म की यूनिट शाम 7 बजे मां के भवन पहुंचे और रात के 1 बजे गाने का क्लाइमैक्स शूट किया गया और रात को बर्फबारी भी हो गई, लिहाजा गाने के बचे हुए हिस्से को अगले दिन शूट कर लिया गया. ये गाना दो दिन में पूरा हुआ था. बर्फबारी के वजह से पूरी यूनिट चार दिनों तक वहीं फंसी रही.
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