आरबीआई की अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला थम सकता है। एसबीआई ने इकोरैप रिपोर्ट में कहा, भारत में खुदरा महंगाई से लेकर फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों से लेकर महत्वपूर्ण आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि 6.5 फीसदी का मौजूदा रेपो दर 2018 के बाद चार साल के उच्च स्तर पर है। इसलिए, अब बढ़ोतरी का संभावना नहीं है।
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एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक 3 अप्रैल, 2023 से शुरू होनी है। फरवरी में हुई एमपीसी बैठक में रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था। उस समय आरबीआई ने कहा था कि खुदरा महंगाई को काबू में रखने और उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए प्रमुख नीतिगत दर में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
आरबीआई के पास नरम रुख अपनाने की पर्याप्त वजह
एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने इस रिपोर्ट में तमाम आंकड़ों की मदद से बताया कि आरबीआई के पास अब इस बात के पर्याप्त कारण मौजूद हैं कि वह अप्रैल की समीक्षा में रेपो दर में कोई वृद्धि न करे।
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तरलता के मोर्चे पर दिक्कतों के बावजूद केंद्रीय बैंक आगामी एमपीसी बैठक में नरम रुख अख्तियार कर सकता है। हालांकि, आरबीआई के यह विकल्प है कि वह जून में होने वाली एमपीसी बैठक रेपो दर में बढ़ोतरी करे।
5.5% के करीब बनी रह सकती है महंगाई
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घोष ने कहा कि खुदरा महंगाई के मोर्चे पर फिलहाल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। पिछले 10 साल में औसत महंगाई दर 5.8 फीसदी रही है। इस बात की बहुत कम संभावना है कि आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई 5.5 फीसदी या उससे नीचे आएगी। पिछले दो महीने से खुदरा महंगाई आरबीआई के 6 फीसदी के संतोषजनक दायरे से ऊपर रही है। फरवरी में खुदरा महंगाई 6.44 फीसदी और जनवरी में 6.52 फीसदी रही थी।