Financial Tasks to Finish in April: वित्त वर्ष की शुरुआत में ही कुछ वित्तीय कार्यों को निपटा देना अच्छा होता है. टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट, वित्तीय लक्ष्यों की पूर्ति के लिए किए जाने वाले निवेश और आईटीआर दाखिल करने जैसे कामों को लटकाना ठीक नहीं है.
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नई दिल्ली. नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत आज यानी 1 अप्रैल से हो गई है. नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में ही आपको टैक्स सेविंग और इनवेस्टमेंट प्लानिंग को भी मूर्तरूप दे देना चाहिए. इन दोनों ही कामों में देरी, आपकी जेब पर तो भारी पड़ती ही है, साथ ही मानसिक परेशानी भी बढ़ाती है. टैक्स सेविंग और इन्वेस्टमेंट प्लानिंग आप जितनी देर से शुरू करेंगे उतना ही घाटे में रहेंगे. साल शुरू होते ही निवेश योजना बनाने से आप बेहतर वित्तीय निर्णय ले जाएंगे और केवल टैक्स बचाने के लिए किसी गलत निवेश विकल्प को चुनने के जोखिम से बच जाएंगे.
आमतौर पर यह देखा गया है कि ज्यादातर व्यक्ति टैक्स सेविंग के लिए वित्त वर्ष के अंत में ही निवेश करते हैं. यह बहुत गलत आदत है. इसका नुकसान यह होता है कि टैक्स बचाने के लिए गलत जगह निवेश कर बैठते हैं, जिसमें कम रिटर्न मिलता है. साथ ही देरी से निवेश की वजह से वे रिटर्न से वंचित भी रह जाते हैं. आज हम आपको उन वित्तीय कार्यों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको हर हाल में अप्रैल 2023 के अंत तक हर हाल में निपटा देना चाहिए.
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कहां करेंगे निवेश, नियोक्ता को बताएं
अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो वित्त वर्ष के पहले महीने में जो जरूरी काम आपको करना चाहिए, वो है आपको अपने नियोक्ता के पास प्रपोज्ड इनवेस्टमेंट डिक्लेरेशन (Investment Declaration) सब्मिट कर देना. इसमें कर्मचारी बताता है कि कितना टैक्स बचाने के लिए वह कहां-कहां निवेश करने वाला है. इसका फायदा यह होगा कि आपकी सैलरी से ज्यादा टीडीएस नहीं कटेगा.
टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट
टैक्स बचाने के लिए जहां भी आपको पैसा लगाना है, वह अप्रैल में ही लगा दें. वित्त वर्ष की शुरुआत में अगर आप यह काम करेंगे, तो आप बिना किसी हड़बड़ी के सही निवेश विकल्प चुन पाएंगे. इससे आपका ज्यादा टैक्स बचेगा. इसका एक फायदा यह भी होगा साल की शुरुआत में ही टैक्स सेविंग स्कीम में पैसा लगाने पर आपको पूरे साल ब्याज मिलेगा.
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इसलिए पीपीएफ, ईएलएसएस, ईपीएफ और वीपीएफ में टैक्स बचाने के लिए निवेश अप्रैल से ही शुरू कर देना चाहिए. साथ ही साल के आखिर में टैक्स सेविंग के लिए एकमुश्त पैसा तो जमा किया जा सकता है. लेकिन, उस इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाला रिटर्न काफी कम हो सकता है. इसलिए टैक्स सेविंग के प्लानिंग वित्त वर्ष की शुरुआत में ही करें.
जमा करें फार्म 15जी/ 15एच
आयकर कानून के तहत सभी तरह की कमाई के स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) अनिवार्य होता है. अगर आपकी आमदनी टैक्स स्लैब से बाहर है और एफडी या डाकघर जमा से ब्याज मिलता है तो उस पर भी टीडीएस काटा जा सकता है. इस टीडीएस कटौती से बचने के लिए 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति को फॉर्म 15जी और 60 साल से ज्यादा उम्र वालों को 15एच भरकर बैंक को देना होता है. अगर आपकी आय भी आयकर के दायरे में नहीं आती है और आपको भी सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या रेकरिंग डिपॉजिट से ब्याज मिल रहा है, तो आपको वित्त वर्ष के पहले महीने में ही फार्म 15जी या फार्म 15एच जमा करा देना चाहिए ताकि टीडीएस न कटे.
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चेक करें फार्म 26 एएस
अप्रैल में आपको अपना फॉर्म 26एएस जरूर चेक करना चाहिए. वेतनभागी इस फॉर्म के जरिये यह जान सकते हैं कि उनके नियोक्ता ने कितना टैक्स काटा है. साथ ही सेवानिवृत्त और पेंशनभोगी की आय पर काटे गए टीडीएस की जानकारी भी इसके जरिये मिल जाती है. यह फॉर्म हमारी सभी तरह की टैक्स कटौती विवरण देता है. आईटीआर भरने से पहले इसे जरूर चेक कर लेना चाहिए.
समय से भरें आईटीआर
आयकरदाता 31 जुलाई तक अपनी आईटीआर दाखिल कर सकते हैं. अंतिम तिथि से पहले आईटीआर भरना हर लिहाज से ठीक रहता है. कोई गलत जानकारी भरे जाने पर उसमें संसोधन के लिए भी समय मिल जाता है और शुल्क भी नहीं लगता. इसलिए अप्रैल में आईटीआर जरूर फाइल कर दें.
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करें फाइनेंशियल प्लानिंग
टैक्स सेविंग के अलावा अगर आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भी इनवेस्टमेंट साल के शुरुआत में ही आरंभ कर देनी चाहिए. रिटायरमेंट फंड और बच्चों की पढ़ाई के लिए फंड बनाने के लिए भी निवेश आपको जल्द शुरू कर देना चाहिए.