देश की उच्च शिक्षा में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है. विदेशी विश्वविद्यालयों के भारतीय कैंपस के लिए खास नियम बनाए गए हैं.
देश की उच्च शिक्षा में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है. विदेशी विश्वविद्यालयों के भारतीय कैंपस के लिए खास नियम बनाए गए हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक 1 महीने के भीतर इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा. इसके लिए शिक्षा मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक का परामर्श लेगा. विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए दिशानिर्देश लागू करने से पहले कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर कानूनी राय भी ली जाएगी.भारत में कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को कई मामलों में स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी. अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, मलेशिया कनाडा जैसे देश भारत की इस पहल का स्वागत कर रहे हैं. विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में करिकुलम निर्धारण के साथ-साथ फैकेल्टी अपॉइंटमेंट में तय नीति के अनुसार काम करने की स्वतंत्रता दी जा सकती है.
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विदेशी विश्वविद्यालयों पॉजिटिव रिएक्शन आएं
भारत में स्थापित किए जाने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस में शैक्षणिक एवं रोजमर्रा के अन्य कार्यों में दखलअंदाजी नहीं की जाएगी. हालांकि भारतीय नियामक संस्थाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि विदेशी विश्वविद्यालय तय नियमों के अंतर्गत ही कार्य करें.यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन से संबंधित ड्राफ्ट को मई की शुरुआत में लागू किया जाना है. प्रोफेसर कुमार ने कहा कि मसौदे को कई विदेशी विश्वविद्यालयों और दूतावासों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और यूजीसी इन सुझावों को समेकित करने के अंतिम चरण में है.
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66 देशों के राजदूतों और मिशन प्रमुखों से संपर्क किया गया
उन्होंने कहा कि यूजीसी इस विषय में भारतीय रिजर्व बैंक से परामर्श करेगा और दिशानिर्देशों की घोषणा से पहले कानूनी राय भी लेगा.अब तक 49 विदेशी उच्चतर शिक्षा संस्थान भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ सहयोग कर रहे हैं. यूजीसी ने ऐसे लगभग 66 देशों के राजदूतों और मिशन प्रमुखों से संपर्क भी किया है. इनमें यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, इजरायल, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, मलेशिया आदि शामिल हैं. भारतीय मिशन के सहयोग से चुनिंदा अमेरिकी विश्वविद्यालयों और डीएएडी के सहयोग से जर्मन विश्वविद्यालयों के साथ बैठकें आयोजित की गईं.
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अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित हैं
यूजीसी के मुताबिक अभी तक प्राप्त हुए कई सुझाव यूरोप और उत्तरी अमेरिका में स्थित विश्वविद्यालयों के हैं. उन्होंने कहा कि कई दूतावासों ने भी अपने प्रश्नों और सुझावों के साथ हमसे संपर्क किया है.यूजीसी के मुताबिक यह नियम भारतीय शिक्षा प्रणाली के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आधारित हैं. मसौदे में कहा गया है कि यह कदम भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) और विदेशी एचईआई के बीच अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए है.यूजीसी के मुताबिक यह महत्वपूर्ण कदम भारतीय छात्रों को विदेशी छात्रों के साथ सहयोगी अनुसंधान व शैक्षणिक गतिविधियों को विकसित करने में मदद करेगा. विदेशी विश्वविद्यालयों में कई भारतीय शिक्षाविद हैं. वे अपने विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए भारत आ सकते हैं और इससे देश में उच्च शिक्षा के समग्र स्तर में सुधार होगा.
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यूजीसी इस संबंध में किसी भी अंतिम घोषणा से पहले संशोधित मसौदे के साथ दूतावासों और विदेशी विश्वविद्यालयों से संपर्क करेगा. यूजीसी द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट में कहा गया है कि कोई भी विदेशी विश्वविद्यालय यूजीसी की मंजूरी के बिना भारत में अपना कैंपस स्थापित नहीं कर सकेगा. साथ ही इस ड्राफ्ट में यह भी व्यवस्था दी गई है कि केवल ऐसे विदेशी विश्वविद्यालयों को ही भारत में कैंपस शुरू करने की अनुमति दी जाएगी, जो वैश्विक रैंकिंग के टॉप 500 विश्वविद्यालयों में शुमार है.गौरतलब है कि अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और इटली के विश्वविद्यालयों ने भारत में कैंपस खोलने के लिए अपनी रुचि व्यक्त की है. यह उम्मीद है कि एक बार प्रावधान लागू हो जाने के बाद, वैश्विक रैंकिंग वाले विदेशी विश्वविद्यालय भारत में कैंपस खोलने के आवेदन के साथ आगे आएंगे. यूजीसी ने विदेशों में अपने दूतावासों और मिशनों के माध्यम से दुनिया भर में इसको लेकर प्रचार करा है.