18 मई, 2001 को विवाह के पवित्र बंधन में बंधे दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह करीब 22 साल साथ रहने के बाद अलग हो गए.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह (Dayashankar Singh) और पूर्व विधायक स्वाति सिंह (Swati Singh) का आखिरकार तलाक मंजूर हो गया. फैमिली कोर्ट ने आपसी सहमति से तलाक की इजाजत दी. 18 मई, 2001 को विवाह के पवित्र बंधन में बंधे दोनों करीब 22 साल साथ रहने के बाद अलग हो गए. बताया गया कि पिछले दस सालों से दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं थे और नौबत तलाक तक पहुंच गई. स्वाति सिंह खुद पिछले करीब चार साल से दया शंकर सिंह से अलग रह रही थीं.
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2012 में तलाक की अर्जी
पति से तलाक के लिए उन्होंने साल 2012 में कोर्ट में अर्जी दाखिल की. मगर कोर्ट में उनकी गैर हाजिरी के चलते तलाक के मामले को रद्द कर दिया गया. यही वो समय था जब दोनों के बीच रिश्ते धीरे-धीरे ज्यादा खराब होने लगे. मगर इसी साल दया शंकर सिंह बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ विवादित बयान देकर चौतरफा घिर गए. मामले में राजनीतिक तूल पकड़ा और स्वाति सिंह अपने पति के पक्ष में खड़ी हो गईं. इस घटनाक्रम के बाद दोनों के बीच रिश्ते एक बार फिर सामान्य होने लगे. इधर भाजपा ने भी उन्हें महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया.
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योगी सरकार ने बनाया मंत्री
दूसरी तरफ भाजपा ने भी 2017 में स्वाति सिंह को लखनऊ की सरोजनीगर सीट से विधानसभा टिकट देकर मैदान में उतार दिया. स्वाति चुनाव जीत गईं और सीएम योगी ने उन्हें मंत्री तक बना दिया. स्वाति योगी सरकार में मंत्री बनीं और एक बार फिर दोनों में रिश्ते खराब होने शुरू हो गए, जो फिर पटरी पर नहीं आए.
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छात्र जीवन में आए करीब
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों छात्र जीवन में एक दूसरे के करीब आए. उन दिनों स्वाति सिंह एमबीए की छात्रा थीं और दयाशंकर सिंह लखनऊ यूनिवर्सिटी की राजनीति में एक बड़ा नाम बन चुके थे. दोनों बलिया से थे और रिश्ते धीरे-धीरे प्यार में बदलते चले गए. साल 2001 में दोनों ने शादी कर ली.