Reserve Bank of India: आरबीआई (RBI) ने चालू वित्तीय वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया. आरबीआई की तरफ से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा गया है.
RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रही ब्याज दर पर लोगों को राहत दी है. आरबीआई (RBI) ने चालू वित्तीय वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया. आरबीआई की तरफ से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा गया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि अमेरिका में बैंकों के विफल होने से वित्तीय संकट मुद्दा बना हुआ है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के नतीजे आज आ गए.
रेपो रेट को पिछले स्तर पर ही बरकरार रखा
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है. अर्थव्यवस्था के विकास को जारी रखने के लिए रेपो रेट को पिछले स्तर पर ही बरकरार रखा गया है. उन्होंने कहा, जरूरत पड़ने पर हम स्थिति के हिसाब से कदम उठाएंगे. आरबीआई गवर्नर ने कहा बैंकिंग और एनबीएफसी वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है.
आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान
आरबीआई की तरफ से 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महंगाई दर अभी भी ऊंची बनी हुई है. महंगाई दर में इजाफा नहीं करने से मई, 2022 से शुरू हुआ ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला थम गया है. आपको बता दें मई 2022 से केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 2.5 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है. इस दौरान रेपो रेट 4 प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है. फिलहाल यह चार साल का उच्चतम स्तर पर चल रहा है.
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उच्च स्तर पर बनी हुई है महंगाई दर
एमपीसी की घोषणा से पहले एक वरिष्ठ अधिकारी ने जी न्यूज को बताया था कि केंद्रीय बैंक को महंगाई के 6 प्रतिशत से नीचे पहुंचने तक इंतजार करना चाहिए. आपको बता दें महंगाई अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई है, जिसका असर आने वाले समय में निम्न आय वर्ग पर पड़ सकता है. आपको बता दें रिटेल महंगाई दर फरवरी में मामूली रूप से कम होकर 6.44 प्रतिशत पर पहुंच गई. इससे पहले यह जनवरी में 6.52 प्रतिशत पर थी.
किसे मिली सबसे ज्यादा राहत?
रेपो रेट पिछले स्तर पर ही बरकरार रहने का सबसे ज्यादा फायदा अलग-अलग बैंकों से लोन लेने वाले ग्राहकों को मिलेगा. किसी भी तरह के लोन पर फिलहाल बैंकों की तरफ से ब्याज दर बढ़ने की उम्मीद नहीं है. अगर आरबीआई की तरफ से रेपो रेट बढ़ाया जाता तो इसका असर बैंकों की ब्याज दर पर पड़ना तय था. जिससे होम लोन का री-पेमेंट कर रहे ग्राहकों की किस्त बढ़ जाती.
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शेयर बाजार में रिकवरी
इससे पहले अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 5 पैसे टूटकर 81.95 पर खुला. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 42 पैसे उछलकर 81.90 पर बंद हुआ था. दूसरी तरफ एमपीसी के नतीजों से पहले ब्याज दर बढ़ने की आशंका के चलते शेयर बाजार गिरावट के साथ खुला था. शुरुआत में बीएसई का 30 शेयर वाला सेंसेक्स 165.16 अंक टूटकर 59,524.15 अंक पर खुला. इसी तरह निफ्टी 45.5 अंक के नुकसान के साथ 17,511.55 अंक पर खुला. एमपीसी के ऐलान के बाद शेयर बाजार ने राहत की सांस ली और इसमें रिकवरी का सिलसिला देखा गया.
क्या होता है रेपो रेट?
जिस रेट पर आरबीआई की तरफ से बैंकों को लोन दिया जाता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर कर्ज मिलेगा. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन आदि की ब्याज दर बढ़ जाएगी, जिससे आपकी ईएमआई पर सीधा असर पड़ेगा.