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‘जिंदगी जब आपके हाथ में नींबू थमाती है, तो शिकंजी बनाना मुश्किल हो जाता है, रुला देगा इरफान खान का आखिरी मैसेज

इरफान का यह आखिरी ऑडियो मैसेज आपको रुला देगा.

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वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते… किसी के जाने को कहां कोई रोक पाता है लेकिन ताउम्र उसकी यादों से भी कहां कोई निकल पाता है. हिंदी सिनेमा के बेहतरीन एक्टर और नरम दिल इंसान इरफान खान चाहे ठीक होने के लिए अपना इलाज करवा रहे थे लेकिन कहीं न कहीं उन्हें इस बात का अंदेशा हो चला था कि अब उनके पास बहुत कम सांसे बची है, पल-पल अपनी मौत को इतने करीब से देखना. खुद को बिखरते देखना वाकई कितना मश्किल होता है इस बेबसी को वही समझ सकता है जो जिंदा रहते हुए अपनी मौत से होकर गुजरा हो. इरफान खान का  27 अप्रैल को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. साल 2018 में ही इरफान खान न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद वह इलाज के लिए लंदन चले गए. काफी समय तक चले इलाज के बाद सेहत में सुधार होने के बाद उन्होंने फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ पूरी की, लेकिन वह फिल्म के प्रमोशन में हिस्सा नहीं ले सके.

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दरअसल, फिल्म के दौरान उनकी तबीयत खराब हो गई थी, जिसके चलते उन्होंने फिल्म के प्रमोशन से दूरी बनाने का फैसला किया. लेकिन, उन्होंने अपने फैंस के लिए एक ऑडियो मैसेज जारी किया था, जो उनका आखिरी मैसेज साबित हुआ.

अपने इस ऑडियो मैसेज में इरफान खान ने कहा था ‘हैलो भाईयों-बहनों मैं इरफान खान. मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी. खैर, ये फिल्म अंग्रेजी मीडियम मेरे लिए बहुत खास है. सच मानिए मेरी दिली ख्वाहिश थी कि इस फिल्म को उतने ही प्यार से प्रमोट कर सकूं, जितने प्यार से इसे बनाया गया है. लेकिन, मेरे शरीर के अंदर कुछ अनवॉन्टेड मेहमान बैठे हैं, जिनसे वार्तालाप चल रही है. देखते हैं किस कर्वट ऊंट बैठता है. जैसा भी होगा आपको इत्तला कर दी जाएगी.’

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अपने ऑडियो मैसेज में इरफान आगे कहते हैं, ‘सच में जब जिंदगी आपके हाथ में नींबू थमाती है न तो शिकंजी बनाना बहुत मुश्किल हो जाता है. लेकिन आपके पास पॉजिटिव रहने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं रहती. इन हालातों में नींबू की शिकंजी बना भी पाते हैं या नहीं, ये आप पर निर्भर करता है. पर हम सबने इस फिल्म को उसी पॉजिटिविटी के साथ बनाया है और मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म आपको सिखाएगी, हंसाएगी, रुलाएगी फिर हंसाएगी शायद.’

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