India’s GDP: भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश बना हुआ है. बीते वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही. चीन में वृद्धि दर इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 4.5 फीसदी रही थी.
India’s GDP Latest Update: दुनिया में भारत की अर्थव्यस्था तेजी से आगे बढ़ रही है. वित्त वर्ष 2022-23 के चौथी तिमाही के आंकड़े जारी किए गए हैं, जिसमें भारत की आर्थिक वृद्धि की दर 7.2 फीसदी रही है. कृषि, विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी रही. इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 7.2 फीसदी पर पहुंच गई, जो अनुमान से अधिक है.
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एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने सारे अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 फीसदी की दर से वृद्धि की. यह इससे पिछली तिमाही के 4.5 फीसदी से अधिक है.
कृषि क्षेत्र में 5.5 फीसदी की वृद्धि
कृषि क्षेत्र में 5.5 फीसदी और विनिर्माण क्षेत्र में 4.5 फीसदी की वृद्धि के दम में यह आर्थिक वृद्धि हासिल की गयी. इसके अलावा, निर्माण, सेवा और खनन क्षेत्रों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में वृद्धि दर 6.1 फीसदी रही. जबकि इससे पहले, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह 4.5 फीसदी और जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.2 फीसदी थी.
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GDP वृद्धि दर 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में 13.1 फीसदी रही थी. वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में यह चार फीसदी रही थी.
बीते वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि 7.2 फीसदी रही
आंकड़ों के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 9.1 फीसदी थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने फरवरी में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में देश की वृद्धि दर सात फीसदी रहने की संभावना जतायी थी.
तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश
इसके साथ भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है. चीन में वृद्धि दर इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 4.5 फीसदी रही थी.
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आयात-निर्यात कम होने से जोखिम बढ़ा
जीएसटी संग्रह, बिजली खपत, पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) जैसे संकेतक अप्रैल में आर्थिक गतिविधियां बने रहने के संकेत दे रहे हैं. हालांकि निर्यात और आयात कम हुआ है. इससे कुछ जोखिम उत्पन्न हुआ है. मानसून और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक जोखिम को छोड़कर देश की आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 में 6.5 फीसदी के अनुमान से ऊपर रह सकती है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, ‘‘हम वृहत आर्थिक, वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता के साथ सतत आर्थिक वृद्धि की कहानी पेश करने में सक्षम हैं. इसके साथ एक और साल भारत के ठोस आर्थिक प्रदर्शन को लेकर उत्साहित हैं.”
डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रूमकी मजूमदार ने कहा कि GDP आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से सुखद हैं लेकिन पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘विनिर्माण क्षेत्र में तेजी स्थिति को और सुखद बना रहा है क्योंकि नीतिनिर्माताओं के लिये क्षेत्र चिंता का विषय बना हुआ था.’’
मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्य वर्धन (GVA) वृद्धि सात फीसदी रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 8.8 फीसदी थी.
विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर मार्च 2023 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 4.5 फीसदी रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 0.6 फीसदी थी.
खनन क्षेत्र में जीवीए वृद्धि दर मार्च 2023 को समाप्त चौथी तिमाही में 4.3 फीसदी रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.3 फीसदी थी. निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 10.4 फीसदी रही जो एक साल पहले 2021-22 की इसी तिमाही में 4.9 फीसदी थी.
कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर इस दौरान 5.5 फीसदी रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.1 फीसदी थी.
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उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार घटी
आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर छह महीने के निचले स्तर 3.5 फीसदी रह गई. मुख्य रूप से कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और बिजली के उत्पादन में कमी से बुनियादी उद्योग की वृद्धि की रफ्तार धीमी हुई है.
वहीं कोयला, उर्वरक और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर में 7.7 फीसदी रही.
राजकोषीय घाटा GDP का 6.4 फीसदी
लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा GDP का 6.4 फीसदी रहा, जो लक्ष्य के अनुरूप है. कर और गैर-कर राजस्व संग्रह बेहतर रहने से राजकोषीय घाटा को थामने में मदद मिली.