Income Tax: कर चोरी रोकने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लगातार सिस्टम में सुधार कर रहा है. अब आईटी डिपार्टमेंट नए-नए तरीकों से लोगों की आमदनी और खर्चों पर भी नजर रख रहा है. इसलिए अगर आप टैक्स भरते हैं तो आपकी कमाई, खर्च और कर भुगतान के बीच तालमेल होना जरूरी है. अगर इन तीनों में से कहीं किसी भी तरीके का अंतर पाया गया तो स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (SFT) के जरिए आयकर विभाग आपकी इस चोरी को पकड़ लेगा.
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अगर आपको बैंक एफडी या बचत योजना से बड़ा ब्याज मिलता है, आप बैंक से बड़ा नकदी लेनदेन करते हैं, क्रेडिट कार्ड से भारी-भरकम शॉपिंग समेत शेयर और म्यूचुअल फंड से मिलने वाले मुनाफे पर आयकर विभाग की नजर रहेगी. खास बात है कि आप भले ही ये जानकारी इनकम टैक्स विभाग को नहीं दें लेकिन आईटी डिपार्टमेंट को इसकी भनक लग जाएगी, आइये जानते हैं कैसे?
क्या है SFT
टैक्स चोरी को रोकने के मकसद से स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन जैसी व्यवस्था को लागू किया गया है. निवेश एवं कर सलाहकार बलवंत जैन के अनुसार, इसके जरिए इनकम टैक्स विभाग टैक्सपेयर्स की आय और खर्चों का मिलान करता है. इस दौरान किसी भी तरह का अंतर पाए जाने पर विभाग इसे तुरंत पकड़ लेता है.
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इस व्यवस्था के जरिए इनकम टैक्स विभाग यह जानकारी जुटाता है कि कोई करदाता किसी तरह की जानकारी छिपा तो नहीं रहा. इसलिए इनकम ही नहीं बल्कि खर्चों पर भी आयकर विभाग की नजर रख रहा है. ऐसे में अगर कम कमाई और ज्यादा खर्च दिखा तो आईटी डिपार्टमेंट तुरंत नोटिस थमाता है. अगर टैक्सपेयर्स अपने खर्चों को लेकर सही जवाब नहीं देता है तो इसे गैर घोषित आय मानकर पेनाल्टी और इंट्रेस्ट के साथ टैक्स भरना पड़ता है.