नई दिल्ली: भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच पिछले साल मई में कंप्रहेंसिव फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लागू हुआ था। एक साल में उसका असर भी दिखने लगा है। यूएई बीते वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के आंकड़ों के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष में यूएई से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) सालाना आधार पर तीन गुना होकर 3.35 अरब डॉलर हो गया। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में यह 1.03 अरब डॉलर था। भारत में एफडीआई के लिहाज से यूएई वित्त वर्ष 2021-22 में सातवें स्थान पर था और 2022-23 में वह चौथे स्थान पर आ गया।
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पिछले वित्त वर्ष में 17.2 अरब डॉलर के निवेश के साथ सिंगापुर भारत में सबसे बड़ा निवेशक रहा। इसके बाद मॉरीशस (6.1 अरब डॉलर) और अमेरिका (छह अरब डॉलर) का स्थान था। शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के पार्टनर रुद्र कुमार पांडेय ने कहा कि भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय संबंधों और निवेश सहयोग के मजबूत होने का श्रेय नीतिगत सुधारों को दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें वृहद आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत में यूएई का ज्यादातर निवेश सर्विसेज, सी ट्रांसपोर्ट, पावर और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज सेक्टर्स में है।
ड्यूटी फ्री एक्सेस
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यूएई ने भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 75 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। साथ ही उसने भारत के रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में पार्टनर बनने का भी भरोसा दिया है। भारत और यूएई के बीच एक मई से एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते की शुरुआत हुई थी। इसके तहत दोनों देशों के कई तरह के सामान को एक दूसरे के यहां ड्यूटी फ्री एक्सेस मिल रहा है। अप्रैल 2000 से मार्च 2023 के बीच भारत में जितना भी एफडीआई आया, उसका 2.5 फीसदी हिस्सा यूएई से आया। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान यूएई से 15.6 अरब डॉलर का एफडीआई भारत आया।’