All for Joomla All for Webmasters
समाचार

Hyderoelectric Power Project: भारत को मिली बड़ी उपलब्धि, चीन सीमा पर पूरी हुई हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना, जानें क्या होगा फायदा?

Hyderoelectric Power Project: इस हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना पर एनजीटी ने 8 साल के लिए रोक लगा दिया था. इसके बाद साल 2019 में फिर से परियोजना पर काम शुरू करने की अनुमति दी गई थी.

नई दिल्ली. पिछले 20 वर्षों से चीन सीमा के पास भारत द्वारा बनाई जा रही सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना का काम पूरा हो गया है. ऊर्जा परिवर्तन में भारत का यह बड़ा कदम माना जा रहा है. सरकारी कंपनी नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड जुलाई से इसकी पहली यूनिट का परीक्षण शुरू करेगी और इस वर्ष दिसंबर से इसे ग्रिड से जोड़ना शुरू किया जाएगा.

ये भी पढ़ें– अमेरिका में राहुल की ट्रक यात्रा, ड्राइवर से पूछा कितना कमा लेते हो? कहा- मूसेवाला का 295 गाना लगाओ

2003 में शुरू हुई थी यह खास परियोजना
एनएचपीसी के वित्त निदेशक राजेंद्र प्रसाद गोयल के मुताबिक, पहली इकाई इस साल के अंत तक चालू हो जाएगी. इस बीच दिसंबर 2024 तक सभी आठ इकाइयां चालू हो जाएंगी. बता दें कि 2-गीगावाट परियोजना 2003 में शुरू हुई थी. लेकिन विरोध और मुकदमों के कारण इसमें देरी हुई. भारत में, विद्युत ग्रिड को संतुलित करने के लिए जलविद्युत महत्वपूर्ण है. क्योंकि सौर और पवन ऊर्जा का रुक-रुक कर उत्पादन बढ़ता है.

ये भी पढ़ें– पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की तारीख बढ़ाने से हाईकोर्ट का इनकार, केंद्रीय बलों की तैनाती पर दिया बड़ा आदेश

8 साल तक NGT ने परियोजना पर लगा रखा था रोक
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, परियोजना की कीमत मूल अनुमान से तीन गुना बढ़कर 212.5 अरब रुपये हो गई. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आठ साल से अधिक के निलंबन के बाद 2019 में निर्माण कार्य को फिर से शुरू करने की अनुमति दी थी. गोयल ने कहा कि हमें जलविद्युत परियोजना का निर्माण शुरू करने से पहले 40 से ज्यादा विभिन्न विभागों व मंत्रालयों से मंजूरी लेनी होती है, इसके हर स्तर की जांच होती है, जिसकी वजह से यह परियोजनाएं लंबे समय तक अटकी रहती हैं.

ये भी पढ़ें– International Driving Permit: विदेशों में गाड़ी चलाने का है शौक? परमिट कैसे करें प्राप्त, कितना लगता है फीस?

इस परियोजना की कपल 8 यूनिट्स हैं
बता दें कि असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच फैली इस परियोजना से देश को कुल 2,000 मेगावाट बिजली मिलेगी. इसकी कुल 8 इकाइयां हैं, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 250 मेगावाट है. एनएचपीसी के वित्त निदेशक राजेंद्र प्रसाद गोयन ने कहा कि योजना की सभी आठ यूनिट्स को दिसंबर 2024 तक संचालन योग्य बना दिया जाएगा.

बड़े बांध से भारत की अर्थव्यवस्था को होता है फायदा
रिपोर्टों के मुताबिक, बड़े बांध भारत में स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का एक तरीका हैं, खासकर चीन और पाकिस्तान की सीमाओं में जहां आमतौर पर स्थिति तनावपूर्ण होती है. कथित तौर पर हाइड्रोपावर को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने बड़े बांधों को स्वच्छ ऊर्जा का दर्जा दिया है. रिपोर्टों का कहना है कि सरकार ने सिविल निर्माण और बाढ़ नियंत्रण कार्य पर कुछ मामलों के लिए बजटीय सहायता पर सहमति व्यक्त की है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top