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ई-सिगरेट की चपेट में आ सकते हैं भारत में 60 प्रतिशत से अधिक युवा, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

नॉर्मल सिदरेट का इस्तेमाल अमूमन लोग करते हैं, लेकिन ई-सिगरेट के बारे में कुछ लोग ही जानते हैं. एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि आने वाले समय में 60 प्रतिशत से अधिक युवा इसकी चपेट में आ सकते हैं.

नॉर्मल सिगरेट के बारे में तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन ई-सिगरेट के बारे में कुछ ही लोग जानते हैं. भारत में 15 से 30 साल की उम्र के करीब 61 फीसदी युवा, जिन्होंने पहले कभी ई-सिगरेट का इस्तेमाल नहीं किया है, भविष्य में इसकी चपेट में आ सकते हैं. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है.

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रिपोर्ट के अनुसार, यह अध्ययन पूरे देश से 456 समेत 4,007 लोगों के एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण के आधार पर किया गया. वर्तमान या पिछले तम्बाकू उपयोग के बाद संवेदनशीलता पर दूसरे सबसे बड़े प्रभाव के रूप में ई-सिगरेट विज्ञापन के संपर्क की पहचान की.

बड़े पैमाने पर अभियान जरूरी-

रिपोर्ट के अनुसार, ई-सिगरेट विज्ञापन के संपर्क की पहचान की गई, जबकि कथित हानिकारकता ने संवेदनशीलता की संभावना को कम कर दिया. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मस्तिष्क के विकास पर निकोटीन के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों और उपकरणों में मौजूद अन्य रसायनों से संभावित नकारात्मक परिणामों के कारण युवा लोगों में ई-सिगरेट के उपयोग की संवेदनशीलता एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है.

भारत में संस्थान में सुधीर राज थाउट रिसर्च फेलो ने कहा कि इस बात की चिंता बढ़ रही है कि भारत में युवा ई-सिगरेट के उपयोग के लिए अतिसंवेदनशील होते जा रहे हैं. तत्काल हस्तक्षेप और ई-सिगरेट के उपयोग के जोखिम और प्रभाव को संबोधित करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान अनिवार्य है.

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51 % लोगों ने अभी तक नहीं किया ई-सिगरेट का इस्तेमाल

इसके अलावा, सर्वे में पता चला है कि भारत में 51 प्रतिशत लोग जिन्होंने पहले कभी ई-सिगरेट का इस्तेमाल नहीं किया था, उसके बारे उत्सुक थे. 49 प्रतिशत ने कहा कि अगर किसी दोस्त के द्वारा पेश की जाती है तो वह उसका इस्तेमाल करेंगे और 44 प्रतिशत का इरादा ई-सिगरेट का उपयोग अगले वर्ष करने का था.

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि सर्वे में हिस्सा लेने वाले 47 प्रतिशत भारतीयों ने ई-सिगरेट का विज्ञापन देखा था. ये परिणाम यूके में 63 प्रतिशत, चीन में 51 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया में 30 प्रतिशत थे, जहां अध्ययन हुआ था. निष्कर्ष ड्रग एंड अल्कोहल डिपेंडेंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं.

66 प्रतिशत युवाओं को लग सकती है लत-

अध्ययन में अधिकांश भारतीय उत्तरदायी अच्छे पढ़े लिखे थे और अमीर परिवार से थे. हालांकि, 66 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि ई-सिगरेट की लत लग सकती है और 66 प्रतिशत मानते हैं यह हानिकारक है. वहीं ऐसा सोचना वाले आस्ट्रेलिया युवाओं की संख्या 87 व 83 प्रतिशत है.

शोधकर्ताओं ने इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ ई-सिगरेट के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अपील की है.

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भारत में तंबाकू का बाजार दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, लगभग 27 प्रतिशत भारतीय आबादी किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग करती है.

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