Jan Aushadhi Kendra: फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBY) के सीईओ रवि दधीच ने कहा कि देशभर में इस साल के अंत तक 10,000 जन औषधि केंद्रों का परिचालन होने की उम्मीद है.
ये भी पढ़ें– Petrol Diesel Prices: छत्तीसगढ़ में बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, हरियाणा में भी फ्यूल महंगा, ताजा रेट जारी
नई दिल्ली. देश में ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र’ (Pradhan Mantri Bhartiya Jan Aushadhi Kendra) की संख्या लगातार बढ़ रही है. सरकार का मकसद इन केंद्रों के जरिए लोगों को सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराना है. इन जन औषधि केंद्रों पर दवाएं सस्ती दरों पर मिलती हैं. वहीं, अब सरकार ने जन-औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाने के लिए आवेदन मंगाए हैं और इस साल के अंत तक ऐसे लगभग 10,000 केंद्रों का परिचालन होने की उम्मीद है. एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
ये भी पढ़ें– किसानों को घर बनाने के लिए मिल रहा 50 लाख तक का लोन, जानें कौन कर सकता है अप्लाई और क्या है प्रोसेस?
फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) के सीईओ रवि दधीच ने कहा कि देशभर में इस साल के अंत तक 10,000 जन औषधि केंद्रों का परिचालन होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि गत 31 मई तक देश भर में कुल 9,484 जन औषधि केंद्र सक्रिय थे.
प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना के अंतर्गत देशभर में 4 वेयरहाउस
दधीच ने गुरुग्राम स्थित सेंट्रल वेयरहाउस में मीडिया से कहा कि इन केंद्रों को स्थापित करने के लिए आवेदन मंगाए गए हैं. प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना के अंतर्गत देशभर में 4 वेयरहाउस हैं जो गुरुग्राम, चेन्नई, गुवाहाटी और सूरत में मौजूद हैं. गुरुग्राम स्थित सेंट्रल वेयरहाउस सबसे बड़ा है. दधीच ने बताया कि पीएमबीजेपी फिलहाल 1,800 दवाइयों के साथ-साथ शल्य क्रिया के 285 उपकरण गुणवत्ता से समझौता किए बिना काफी किफायती कीमतों पर उपलब्ध करा रहा है.
ये भी पढ़ें– Sarkari Naukri : एमटीएस, हवलदार के 10,000 से अधिक पदों पर होने वाली है भर्ती, नोटिफिकेशन जल्द
ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50-90 फीसदी कम कीमत
बता दें कि सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना शुरू की गई थी. इस योजना के तहत, जेनरिक दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र के आउटलेट खोले गए. इन दवाओं को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50-90 फीसदी कम कीमत पर बेचे जाते हैं.