यूं तो भारत में एक से बढ़कर एक उद्योगपति हैं. जिनमें मुकेश अंबानी से लेकर रतन टाटा का नाम शामिल है, लेकिन जब दानदाताओं का नाम लिया जाता है तो उसमें अजीम प्रेमजी का नाम सबसे टॉप पर होता है.
मुकेश अंबानी, रतन टाटा, गौतम अडानी और शिव नाडर समेत भारत में न जाने कितने उद्योगपति हैं, जिनकी गणना टॉप क्लास में की जाती है. लेकिन, भारत में एक ऐसे उद्योगपति हैं, जिनके बारे में चर्चाएं कम की जाती हैं, जबकि वो इसके सबसे ज्यादा हकदार हैं. हम यहां पर बात कर रहे हैं ऐसे अल्ट्रा हाई नेट वर्थ वाले बिजनेसमैन की, जो सबसे उदार भारतीय उद्योगपति हैं. दासरा और बेन एंड कंपनी की फिलान्थ्रॉफी रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले भारत के इस अल्ट्रा-हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (UHNIs) की संपत्ति 11,811 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 22 में 4,230 करोड़ रुपये पर आ गई.
रिपोर्टों के मुताबिक, यह इसलिए हुआ क्योंकि विप्रो के फाउंडर और चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने 9000 करोड़ रुपये दान कर दिए थे. 2021 में शेयर बायबैक के जरिए फाउंडेशनों को सीधे लाभ पहुंचाया.
अजीम प्रेमजी को सबसे उदार भारतीय घोषित किया गया और वह वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 21 में फिलान्थ्रॉफी चार्ट में टॉप पर थे. FY20 में अजीम प्रेमजी ने प्रति दिन औसतन 22 करोड़ रुपये यानी 7,904 करोड़ का दान किए. वहीं, FY21 में प्रति दिन 27 करोड़ रुपये यानी 9,713 करोड़ रुपये दिए.
FY2022 में अजीम प्रेमजी 484 करोड़ रुपये के सालाना दान के साथ दूसरे स्थान पर आ गए. 2023 में अभी भी भारत के आगे की पंक्ति के फिलान्थ्रॉफिस्ट हैं.
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2019 में कोविड-19 की महामारी के दौरान “अभूतपूर्व स्वास्थ्य और मानवीय संकट” के समय में अजीम प्रेमजी की विप्रो ने 1,125 करोड़ रुपये दान का वादा किया. इसमें से विप्रो लिमिटेड ने 100 करोड़ रुपये, विप्रो एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपये और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने 1,000 करोड़ रुपये देने का कमिटमेंट किया था.
अजीम प्रेमजी उस समय ही इतिहास रच दिए थे, जब उन्होंने 2019 में अपने आईटी आउटसोर्सिंग व्यवसाय में 7.6 बिलियन डॉलर की हिस्सेदारी अपने गैर-लाभकारी संगठन, द अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को दान कर दी थी.
बुनियादी शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने के लिए वर्ष 2000 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की गई थी. जबकि 2014 में, अजीम प्रेमजी फिलान्थ्रोफिक इनीशिएटिव्स डिवीजन की स्थापना की गई.
बता दें, हुरुन इंडिया और एडेलगिव फाउंडेशन की दुनिया के टॉप फिलान्थ्रोफिस्ट की रैंकिंग के मुताबिक, भारत में किसी दूसरे फिलान्थ्रोफिस्ट की तुलना में, अजीम प्रेमजी ने धर्मार्थ कार्यों में कम से कम दस गुना अधिक पैसा दिया है, जिसने अजीम प्रेमजी को उनमें 12वें स्थान पर रखा है.
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गौरतलब है कि अजीम प्रेमजी ने अपने पूरे जीवन में धर्मार्थ कार्यों के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है. अपनी उपलब्धियों के लिए, उन्हें फिलान्थ्रोफी के कार्नेगी मेडल और भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्म भूषण समेत कई सम्मान मिल चुके हैं.