IND vs WI T20I Series हाल के दिनों में ये देखा गया है कि टीम के चयन को लेकर विस्तार से जानकारी नहीं दी जाती है और ना ही बीसीसीआई की ओर से किसी तरह की प्रेस कॉन्फ़्रेंस की जाती है ताकि सीधे तौर पर सवाल-जवाब किया जा सके.
बीसीसीआई ने वेस्टइंडीज दौरे पर होने वाली पांच मैचों की टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम का ऐलान कर दिया है. नए मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर की अध्यक्षता वाली सीनियर चयन समिति ने कैरेबियाई दौरे के लिए एक युवा भारतीय टीम का चयन किया है, जिसने भविष्य की तस्वीरों को भी कुछ हद तक साफ़ कर दिया है. इस युवा टीम की कमान जहां हार्दिक पंड्या के कंधों पर है तो उप-कप्तान सूर्यकुमार यादव हैं. साथ ही यशस्वी जायसवाल, तिलक वर्मा और मुकेश कुमार जैसे नए चेहरे भी शामिल किए गए हैं.
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हालांकि अब इस टीम को लेकर सवाल उठने लगे हैं. साथ ही बीसीसीआई के नए एकतरफ़ा कॉम्युनिकेशन पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. हाल के दिनों में ये देखा गया है कि टीम के चयन को लेकर विस्तार से जानकारी नहीं दी जाती है और ना ही बीसीसीआई की ओर से किसी तरह की प्रेस कॉन्फ़्रेंस की जाती है ताकि सीधे तौर पर सवाल-जवाब किया जा सके.
इस टीम को ही आप देखिए – मेल के ज़रिए ये तो बता दिया गया कि कौन-कौन कैरिबयाई दौरे पर जाने वाली फ़्लाइट में बैठेंगे लेकिन किसे आराम दिया गया? किसे ड्रॉप किया गया? किन खिलाड़ियों के नाम पर चर्चा हुई लेकिन जगह नहीं बना पाए? चयन का पैमाना क्या था? इस तरह के कई ऐसे सवाल हैं जो ना सिर्फ़ इस दौरे पर गई टीम इंडिया को लेकर हैं बल्कि पिछले कुछ सालों से बीसीसीआई का ये रवैया लगातार देखने को मिल रहा है.
क्या रोहित और कोहली का टी20 करियर समाप्त?
भारतीय क्रिकेट टीम के नियमित कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली आख़िरी बार 2022 में खेले गए टी20 विश्व कप में नज़र आए थे. उसके बाद से दोनों ही किसी भी टी20 अंतर्राष्ट्रीय सीरीज़ का हिस्सा नहीं रहे हैं, तो क्या ये माना जाए कि बीसीसीआई ने भविष्य का सोचते हुए कोहली और रोहित को टी20 से बाहर रखने का फ़ैसला कर लिया है?
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भविष्य का सोचते हुए अगर ये फ़ैसला लिया गया है तो क्या इसके बारे में खुलकर बताना ज़्यादा मुनासिब नहीं होता? इसी तरह गेंदबाज़ों की बात करें तो भुवनेश्वर कुमार या मोहम्मद शमी को लेकर भी बीसीसीआई की तरफ़ से कोई जानकारी नहीं दी गई. चोटिल खिलाड़ियों की मौजूदा स्थिति और फ़िटनेस को लेकर भी किसी तरह की अपडेट ना के बराबर ही प्राप्त होती है.
रिंकू सिंह को क्यों नहीं मिला मौक़ा?
वेस्टइंडीज के ख़िलाफ होने वाली पांच मैचों की इस टी20 सीरीज में कई और ऐसे खिलाड़ी भी थे, जो टीम इंडिया का दरवाजा खटखटा रहे हैं या वापसी के इंतज़ार में हैं। इसमें सबसे ज़्यादा उम्मीदें आईपीएल में पिछले दो सीजन से कमाल का फिनिश करने वाले रिंकू सिंह के चयन को लेकर लगाई जा रहीं थीं. इस सीजन तो रिंकू का प्रदर्शन धमाकेदार था.
कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते हुए बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने 59.25 की औसत और 149.53 के स्ट्राइक रेट से 474 रन बनाए थे. इतना ही नहीं गुजरात के ख़िलाफ़ वह मैच भला कौन भूल सकता है, जिसमें इस फ़िनिशर ने यश दयाल के आख़िरी ओवर में पांच गेंदों पर लगातार पांच छक्का जड़ते हुए हारा हुआ मैच कोलकाता को जिता दिया था.
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चेन्नई सुपर किंग्स के सलामी बल्लेबाज़ ऋतुराज गायकवाड़ भी टीम इंडिया में वापसी का इंतज़ार कर रहे थे और इस दौरे से उन्हें भी काफ़ी आशा थी. आईपीएल 2023 में दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 42.14 की औसत से 590 रन बनाए थे.
चेन्नई को पांचवीं बार चैंपियन बनाने में गायकवाड़ का बड़ा योगदान था लेकिन उन्हें इसका ईनाम फ़िलहाल नहीं मिला.
रिंकू और गायकवाड़ के अलावा गुजरात टाइटंस के फ़िनिशर राहुल तेवतिया, मुंबई इंडियंस के डेथ ओवर स्पेशलिस्ट के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले तेज़ गेंदबाज़ आकाश मधवाल, ध्रुव जुरेल और आक्रामक विकेटकीपर बल्लेबाज जितेश शर्मा पर भी सभी की निगाहें थीं. लेकिन फ़िलहाल उन्हें अभी और इंतज़ार करना पड़ेगा।
कब तक चलेगा बीसीसीआई का एकतरफ़ा कॉम्युनिकेशन?
इसमें कोई शक नहीं है कि दल में सीमित खिलाड़ियों को ही मौक़ा मिलता है, जिसमें चयनकर्ताओं के सामने कई तरह की चुनौतियां भी होती हैं. लेकिन अगर आपको याद हो भारतीय क्रिकेट में कुछ समय पहले तक एक परंपरा हुआ करती थी और किसी भी दौरे या सीरीज़ के लिए हुए टीम के चयन के बाद मुख्य चयनकर्ता या बीसीसीआई के अधिकारी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस हुआ करती थी,जिससे सारी जानकारी विस्तार से पता चलती थी, आगे की तस्वीर और लक्ष्य पता चलता था, यहां तक कि इसकी भी जानकारी मिलती थी कि किन किन खिलाड़ियों के नाम पर चर्चा हुई थी और उन्हें फ़िलहाल क्यों नहीं मौक़ा मिला.
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लेकिन अब बीसीसीआई की तरफ़ से न कोई प्रेस कॉन्फ़्रेंस होती है और न ही प्रेस रिलीज़ में जानकारी दी जाती है। बीसीसीआई के इस एकतरफ़ा कॉम्युनिकेशन का नतीजा ये होता है कि खिलाड़ी का हौसला भी पस्त हो जाता है, साथ ही क्रिकेट प्रेमियों को भी क़यास की दरिया में मजबूरन ग़ोते लगाने पड़ते हैं.