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सरकार का प्‍लान B, अब रुपया बनेगा दुनिया का बॉस, क्‍या है नई तैयारी और आपको कैसे होगा फायदा

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Digital Currency : भारत ने रुपये को बढ़ावा देने के लिए बीते साल इंटरनेशनल ट्रेडिंग में भारतीय करेंसी का इस्‍तेमाल करने की तैयारी की थी. रिजर्व बैंक ने इसके लिए डिजिटल करेंसी भी बनाई है, लेकिन अभी तक इस दिशा में खास फायदा नहीं मिला. अब रणनीति बदलकर द्विपक्षीय समझौतों पर जोर दिया जा रहा है.

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नई दिल्‍ली. बीता साल यानी 2022 भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण था. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद दुनियाभर में कमोडिटी मार्केट बुरी तरह हिल गया और भारतीय मुद्रा यानी रुपया भी दबाव में आ गया था. इसका असर यह हुआ था कि पहली बार रुपया 80 डॉलर को भी पार कर गया था. हालांकि, इस दबाव से निकलने के लिए तब रिजर्व बैंक ने एक प्‍लान बनाया, जो अब थोड़ा सुस्‍त पड़ता दिख रहा है.

रिजर्व बैंक ने ग्‍लोबल मार्केट में रुपये पर दबाव हटाने के लिए ग्‍लोबल मार्केट में भारतीय करेंसी के जरिये ट्रेडिंग करने का ऐलान किया था. इसके बाद से लगातार इस दिशा में कोशिश जारी है और अब भी तक काफी कुछ हासिल भी किया जा चुका है. बावजूद इसके इंटरनेशनल मार्केट रुपये के साथ ट्रेडिंग अभी तक शुरू नहीं हो सकी है. इसीलिए अब प्‍लान में बदलाव हो रहा है. मामले से जुड़े एक वरिष्‍ठ अधिकारी का कहना है कि देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते किए जा रहे हैं और यह रुपये को इंटरनेशनल ट्रेडिंग के लिए मान्‍यता दिलाने का नया रास्‍ता खोल सकता है.

रुपये को संभालने की बड़ी कोशिश
ग्‍लोबल मार्केट में भारतीय करेंसी पर बढ़ते दबाव को टालने के लए रिजर्व बैंक ने काफी कोशिशें की है. सिर्फ जुलाई में ही इसके लिए रिकॉर्ड 39 अरब डॉलर यानी करीब 2.80 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बेची ताकि करेंसी में आ रही गिरावट को थामा जा सके. इतना ही नहीं रिजर्व बैंक को वित्‍तवर्ष 2022-23 में पूरे 213 अरब डॉलर यानी करीब 17 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा को बेचना पड़ा था. ऐसे खराब हालात को देखते हुए रिजर्व बैंक ने विदेशी बाजारों के साथ रुपये में डीलिंग करने का फैसला किया और इसका फूलप्रूफ प्‍लान बनाते हुए डिजिटल करेंसी भी जारी की. फिलहाल यह दांव अभी सही नहीं दिख रहा है.

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डॉलर पर निर्भरता घटाने की तैयारी
आरबीआई का मकसद डॉलर पर भारतीय करेंसी की निर्भरता घटाना है. लेकिन, सिर्फ रूस के ही साथ ही रुपये में ट्रेडिंग करने में सफलता मिल सकी है. बावजूद इसके कि अभी तक रिजर्व बैंक 22 देशों के साथ 92 वोस्‍ट्रो अकाउंट खोलने में कामयाब हो चुका है. बावजूद इसके अभी तक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेडिंग शुरू नहीं हो सकी है.

अब बदल दी प्‍लानिंग
मनीकंट्रोल के मुताबिक, मामले से जुड़े एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि अब हम द्विपक्षीय समझौते कर रहे हैं. रुपये को इंटरनेशनल ट्रेडिंग में शामिल कराने के लिए दोनों देशों के साथ मिलकर करेंसी को लोकल लेवल पर प्रमोट कराया जा रहा है. हालांकि, यह धीमी प्रक्रिया है और इसमें टाइम लग सकता है. लेकिन, इस लंबी प्रक्रिया के जरिये ही हम दूसरे देशों में भारतीय करेंसी को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे.

कई देशों के साथ बढ़ रहा कदम
द्विपक्षीय समझौते के तहत रिजर्व बैंक ने यूएई (UAE) के साथ भी समझौता किया है, जिसमें भारत रुपये में भुगतान करेगा और यूएई दिरहम में भुगतान करेगा. इसके बाद इंडोनेशिया के साथ भी इसी तरह के समझौते पर बातचीत चल रही है. रूस के साथ हम पहले ही रुपये में ट्रेडिंग कर रहे हैं. इन दोनों देशों से फायदा ये होगा कि अभी हम पेट्रोलियम का ज्‍यादातर आयात यूएई से करते हैं तो खाद्य तेल का ज्‍यादा इस्‍तेमाल इंडोनेशिया से करते हैं. इन दोनों देशों के साथ रुपये में ट्रेडिंग करने से पैसे खूब बचेंगे.

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अब इन देशों पर निगाह
भारत ने द्विपक्षीय समझौते के तहत अब बांग्‍लादेश और श्रीलंका पर निगाह गड़ाई है. सूत्रों के मुताबिक, अभी दोनों देशों में करेंसी का जोखिम चल रहा है. लिहाजा ये दोनों देश करेंसी ट्रेडिंग के लिए अच्‍छे कैंडिडेट हैं. ऐसे देशों के साथ करेंसी में द्विपक्षीय समझौते करने का कोई जोखिम नहीं है. ऐसे में हम रुपये को बढ़ावा देंगे. भारत को जहां यूएई और इंडोनेशिया के साथ व्‍यापार घाटा होता है, वहीं बांग्‍लादेश के साथ 5 साल में करीब 80 हजार करोड़ और श्रीलंका के साथ 1.60 लाख करोड़ रुपये का सरप्‍लस कारोबार हुआ है. ऐसे में इन दोनों देशों के साथ समझौते से फायदा होगा.

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