भारत के ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने फार्मा कंपनियों को सख्त निर्देश दिया है कि वो अपनी दवाओं पर बार कोड लगाएं. सरकार ने नकली दवाओं पर नकेल कसने के लिए ये फैसला लिया है.
अब लोगों के लिए असली और नकली दवा की पहचान करना आसान होने वाला है. इसकी वजह है कि अब दवाओं पर लगे क्यूआर कोड (QR Code) को स्कैन करके लोग असली और नकली दवा के अंतर को तुंरत समझ जाएंगे. इसके बाद असली या नकली दवा की टेंशन हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी. यानी मेडिकल स्टोर (Medical Store) से दवा खरीदते वक्त QR कोड स्कैन करने के बाद ही पेमेंट करने की जरूरत होगी. इसकी तैयारी वैसे तो पिछले साल ही शुरू हो गई थी. लेकिन 1 अगस्त से 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने का आदेश देकर सरकार ने अब इसकी शुरुआत भी कर दी है.
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दवा पर बार कोड लगाएंगी फार्मा कंपिनयां
सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में संशोधन करते हुए फार्मा कंपनियों को अपने ब्रांड पर H2/QR लगाना अनिवार्य कर दिया है. भारत के ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया यानी DCGI ने फार्मा कंपनियों को सख्त निर्देश दिया है कि वो अपनी दवाओं पर बार कोड लगाएं. सरकार ने नकली दवाओं पर नकेल कसने के लिए ये फैसला लिया है. 2022 में ही सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके फार्मा कंपनियों को निर्देश दे दिए थे.
QR कोड से मिलेगी दवा की हर जानकारी
शुरुआत में इस क्यूआर कोड को स्कैन करके जिन दवाओं के बारे में सबकुछ पता चल जाएगा उनमें शामिल हैं एलिग्रा, शेलकेल, काल्पोल, डोलो और मेफ्टेल. सरकार का निर्देश नहीं मानने पर फार्मा कंपनियों पर बड़ा जुर्माना लग सकता है. दवाओं पर लगने वाले इस क्यूआर कोड के जरिए लोगों को दवा से संबंधित जरूरी जानकारी जैसे कि दवा का सही और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्युफैक्चरर की जानकारी, मैन्युफैक्चरिंग की तारीख, एक्सपायरी डिटेल और लाइसेंस नंबर जैसी तमाम जानकारियां मिल जाएंगी.
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नकली दवाओं पर रोकथाम लगाएगा कोड
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी कहा था कि नकली दवाओं को लेकर सरकार का रुख बहुत सख्त है. नकली दवा को लेकर सरकार ‘बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति का पालन करती है. इस क्यूआर कोड के लागू होने के बाद नकली दवाओं से होने वाले नुकसानों की रोकथाम में मदद मिलेगी.
इसके साथ ही नकली दवाओं की वजह से अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान भी रोके जा सकेंगे. भारत की छवि दुनिया के दवाखाने के तौर पर मशहूर है लेकिन हाल ही में जिस तरह से भारत की कंपनियों के बनाए कफ सीरप से दूसरे देशों में मौत के मामले आए हैं उससे इस इमेज के खराब होने का डर है. यही वजह है कि सरकार ने 71 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 18 फार्मा कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया है.