Umpires Call Rules MCC: पाकिस्तान बनाम साउथ अफ्रीका मैच अंपायर्स कॉल को लेकर विवादों से भरा रहा. आइए जानते हैं क्या है अंपायर्स कॉल पर पूर्व क्रिकेटर्स का इसपर क्या कहना है.
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नई दिल्ली. पाकिस्तान को वर्ल्ड कप के 26वें मुकाबले में साउथ अफ्रीका से हार का सामना करना पड़ा. इस हार के साथ ही पाकिस्तान की टीम वर्ल्ड कप से बाहर होने की कगार पर हैं. इस मैच में अंपायर्स कॉल को लेकर काफी विवाद हो रहा. हरभजन सिंह का तो कहना है कि पाकिस्तान इस मैच को अंपायर्स कॉल के कारण हारा है.
आइए जानते हैं अंपायर्स कॉल क्या है? इसमें बदलाव की जरूरत है भी या नहीं. इसपर पूर्व क्रिकेटरों क्या सोचते हैं और इस लेकर क्यों इतना विवाद हो रहा? इन सब सवालों का जवाब जानने से पहले, आपके लिए ये जानना जरूरी है कि क्रिकेट में अंपायर्स कॉल होता क्या है?
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क्या है अंपायर्स कॉल?
अंपायर्स कॉल क्रिकेट में डीआरएस (Decision Review System) का ही एक हिस्सा है. जब कोई बल्लेबाज फील्ड अंपायर के फैसले से खुश नहीं होता है तो वो इसके खिलाफ रिव्यू लेता है यानी थर्ड अंपायर के पास जाता है. तब एलबीडब्ल्यू के संदर्भ में टीवी अंपायर रीप्ले और बॉल ट्रैकिंग के जरिए नतीजे तक पहुंचने की कोशिश करता है. मौजूदा नियम के अनुसार, अगर अंपायर की नॉट आउट कॉल को चुनौती दी गई है, तो रिव्यू पर बल्लेबाज को एलबीडब्ल्यू घोषित करने के लिए गेंद का 50 फीसदी हिस्सा तीन स्टंपों में से कम से कम एक से टकराना चाहिए.
गेंद और स्टंप के बीच संपर्क होने का फासला बहुत छोटा या उसमें किसी तरह की भी शंका हो तो थर्ड अंपायर इसे अंपायर्स कॉल करार देता है. यानी जो फैसला ग्राउंड अंपायर दे चुका है, वही फाइनल माना जाता है.
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पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में भी तबरेज शम्सी के मामले में ऐसा ही हुआ. हारिस रऊफ की गेंद उनके पैड से टकराई थी. इसके बाद पाकिस्तान ने एलबीडब्ल्यू की अपील की लेकिन अंपायर ने आउट नहीं दिया. फील्ड अंपायर के इस फैसले के खिलाफ पाकिस्तान टीम ने रिव्यू लिया. बॉल ट्रैकिंग में ये दिखा कि गेंद लेग स्टम्प को हिट कर रही थी, मतलब शम्सी आउट थे लेकिन अंपायर्स कॉल होने के कारण शम्सी नॉट आउट करार दिए गए. इसी को लेकर बवाल हो रहा कि अगर गेंद स्टम्प से टकरा रही है तो फिर 50 फीसदी वाला नियम मान्य नहीं होना चाहिए.
आईसीसी का इस नियम पर कहना है कि अंपायर्स कॉल डीआरएस का ही हिस्सा है. जिसमें कई मौकों पर ऑन फील्ड अंपायरों का डिसीजन मान्य होगा. यहां बॉल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी के जरिए पताया लगाया जाएगा कि गेंद इमपैक्ट में है या फिर विकेट जोन में.
सचिन तेंदुलकर, शेन वॉर्न और समेत कई दिग्गज अतीत में इस नियम पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. उनके मुताबिक, अगर गेंद स्टंप से टकराई है तो यह सवाल नहीं होना चाहिए कि यह मार्जिनल है या नहीं इसे आउट होना चाहिए. हरभजन सिंह का भी कहना है कि अगर गेंद स्टंप्स को छू रही है तो फिर चाहे अंपायर ने आउट दिया हो या नॉट आउट इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.
हालांकि, इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर नासिर हुसैन की इस पर अलग राय है. अंपायर्स कॉल पर विवाद के बाद उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो कह रहे हैं कि अंपायर्स कॉल DRS का हिस्सा बने रहना चाहिए क्योंकि टेक्नोलॉजी एक जरिया है यह पता लगाने का कि गेंद पैड पर लगकर कहां जा रही है. इसमें पूरी सच्चाई नहीं होती. अगर अंपायर कॉल हटा दिया जाएगा तो टेस्ट मैच दो दिन से भी ज्यादा नहीं चलेगा क्योंकि फिर गेंदबाज पैड पर गेंद लगते ही बार-बार अपील करेंगे और 50 फीसदी का मार्जिन हटा देने पर बैटर आउट हो जाएगा.
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पाक- दक्षिण अफ्रीका मैच में हुआ विवाद
साउथ अफ्रीका की बैटिंग के दौरान पाकिस्तान के लिए 46वां ओवर हारिस रऊफ डाल रहे थे. स्ट्राइक पर तबरेज शम्सी थे. शम्सी के पैड पर गेंद लगी और हारिस रउफ ने अपील की. लेकिन अंपायर ने इसे आउट नहीं दिया. इसके बाद बाबर आजम ने डीआरएस इस्तेमाल किया. रिव्यू में पाया गया कि गेंद स्टंप्स को छूकर जा रही थी. अंपायर कॉल होने के कारण शम्सी को जीवनदान मिला.
इससे पहले, दक्षिण अफ्रीका की बैटिंग के दौरान रासी वान डेर डुसैन भी इसी नियम के पेच में फंसे थे. गेंद उनके पैड पर जाकर लगी थी. अंपायर ने उंगली उठा दी थी. रासी ने रिव्यू लिया, जिसमें ट्रैकिंग के जरिए पता चला कि गेंद स्टंप्स को हल्की सी छूकर जा रही थी. अंपायर्स कॉल के कारण रासी को पवेलियन लौटना पड़ा था.