Shri Krishna ko Shrap: महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ. पांडव सुख से राज करने लगे. वहां द्वारकावासी भी सुख-समृद्धि से भरे राज्य में आनंद से जीवन बिताने में मगन थे. लेकिन धीरे-धीरे हालात बिगड़े और पूरा यदु वंश आपस में लड़ मरा. द्वारका नष्ट हो गई. भगवान कृष्ण के वंश के नाश के पीछे यदुवंशियों का मदिरा में डूबना, अनैतिक कार्य करना वजह बना. इन हालातों से भगवान श्रीकृष्ण क्षुब्ध हुए और जंगल में जाकर वास करने लगे.
फिर भगवान श्रीकृष्ण की हुई मृत्यु
कुछ साल बाद भगवान श्रीकृष्ण भी देह छोड़कर बैकुंठ वापस लौट गए. इसमें भी भगवान कृष्ण की ही एक लीला था. एक बार सोमनाथ के पास स्थित प्रभास क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे. तभी एक बहेलिए ने हिरण समझकर तीर चलाया और वह तीर प्रभु कृष्ण के तलवे में जाकर लगा. इस तीर से ही भगवान कृष्ण की मृत्यु हुई. भगवान कृष्ण ने यह तीर लगने के बाद ही देह छोड़ने का निर्णय लिया.
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वानरराज बाली था बहेलिया
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह बहेलिया त्रेता युग का वानरराज बाली था. दरअसल त्रेतायुग में प्रभु ने राम अवतार में बाली को छिपकर तीर मारा था. कृष्णावतार के समय भगवान ने उसी बाली को जरा नामक बहेलिया बनाया और अपने लिए वैसी ही मृत्यु चुनी, जैसी उन्होंने त्रेतायुग में बाली को दी थी.
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गांधारी का शाप भी बना वजह
महाभारत युद्ध में सभी कौरव मारे गए. कौरवों की मृत्यु से व्यथित उनकी मां गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को शाप दे दिया था. गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया कि जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा. साथ ही 36 साल बाद कृष्ण जी की भी मृत्यु हो जाएगी. हकीकत में भी वैसा ही हुआ और यदु वंश का नाश हुआ. साथ ही 36 साल बाद भगवान कृष्ण ने भी देह त्याग कर दी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)