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टैक्स-फ्री बॉन्ड और टैक्स सेवर बॉन्ड में क्या अंतर है, कोई कन्फ्यूजन है तो यहां दूर कर लीजिए

टैक्स-फ्री बांड और टैक्स-सेवर बांड दोनों खास फाइनेंशियल टार्गेट्स और प्रायरिटीज वाले निवेशकों को पूरा करते हैं. इनकी बारीकियों को समझने से लोगों को रिस्क अपेटाइट के मुताबिक सही फैसला लेने में मदद मिल सकती है.

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Tax Free and Tax Saver Bonds: इन्वेस्टर्स अक्सर ऐसी चीजों की तलाश में रहते हैं जिसमें न केवल उन्हें फाइनेंशियल बेनिफिट्स मिलें, बल्कि टैक्स में भी लाभ मिले. यहां पर दो ऐसे टूल्स के बारे में चर्चा की जा रही है, जो इन प्रायरिटीज को पूरा करते हैं. ये टूल्स टैक्स-फ्री बांड और टैक्स-सेवर बांड हैं. 

आइए, यहां पर समझते हैं कि इन दोनों में खास अंतर क्या हैं?

टैक्स-फ्री बांड

टैक्स-फ्री बांड सरकार समर्थित संस्थाओं जैसे सरकारी निगमों और नगर निकायों द्वारा जारी किए गए ऋण साधन हैं. इन बांडों का प्राथमिक आकर्षण अर्जित ब्याज पर आयकर से छूट में निहित है. निवेशकों को नियमित ब्याज भुगतान प्राप्त होता है, आमतौर पर वार्षिक या अर्ध-वार्षिक आधार पर, और मूल राशि परिपक्वता पर चुकाई जाती है.

टैक्स-फ्री बांड की प्राथमिक विशेषताओं में शामिल हैं:

टैक्स रीबेट: इन बांडों से मिलने वाली इंटरेस्ट इनकम आयकर अधिनियम की धारा 10 के तहत आयकर से मुक्त है. यह हायर टैक्स दायरे वाले निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाता है.

सेफ्टी और सेक्योरिटी: ये बांड अक्सर सरकारी संस्थाओं द्वारा जारी किए जाते हैं, इसलिए इन्हें कम रिस्क वाला और सुरक्षित निवेश माना जाता है.

फिक्स्ड टेन्योर: टैक्स-फ्री बांड एक निश्चित अवधि के साथ आते हैं, और मैच्योरिटी पर निवेशकों को उनकी मूल राशि वापस मिल जाती है.

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टैक्स-सेवर बांड

टैक्स-सेवर बांड, इनमक टैक्स एक्ट की धारा 80 सी के तहत टैक्स बेनिफिट्स के लिए तैयार किए गए बांड की एक स्पेशल कैटेगरी है. ये बांड लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं, जिसके दौरान निवेश की गई राशि को निकाला नहीं जा सकता है. लॉक-इन अवधि आम तौर पर पांच से सात साल तक होती है.

टैक्स-सेवर बांड की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

टैक्स डिडक्शन: टैक्स-सेवर बांड में किया गया निवेश धारा 80 सी के तहत कटौती के लिए योग्य है, जिससे निवेशकों को धारा में दिए गए कंटेंट लिमिट के अधीन, निवेशित राशि से अपनी टैक्सेबल इनकम कम करने की अनुमति मिलती है.

लॉक-इन अवधि: टैक्स-फ्री बांड के विपरीत, टैक्स-सेवर बांड में एक अनिवार्य लॉक-इन अवधि होती है. निर्दिष्ट अवधि पूरी होने से पहले निवेशक इन बांडों को भुना या बेच नहीं सकते हैं.

ब्याज दरें: टैक्स-सेवर बांड पर ब्याज दरें जारी करने वाले प्राधिकारी के आधार पर निश्चित या बदल सकती हैं. निवेशकों के लिए ब्याज दरों से जुड़े नियमों और शर्तों से अवगत होना महत्वपूर्ण है.

टैक्स-फ्री बांड और टैक्स-सेवर बांड के बीच अंतर

टैक्स ट्रीटमेंट: प्राथमिक अंतर टैक्स ट्रीटमेंट में निहित है. जबकि टैक्स-फ्री बांड से ब्याज आय टैक्स-फ्री है, टैक्स-सेवर बांड निवेशित राशि पर कटौती की पेशकश करते हैं.

लॉक-इन अवधि: टैक्स-सेवर बांड एक अनिवार्य लॉक-इन अवधि के साथ आते हैं, जो एक मजबूर बचत तंत्र प्रदान करता है. टैक्स-फ्री बांड में आम तौर पर ऐसे प्रतिबंध नहीं होते हैं, जिससे अधिक तरलता की अनुमति मिलती है.

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निवेश का मकसद: टैक्स-सेवर बांड खासकरके टैक्स प्लानिंग के बनाए गए हैं, जिसमें वेल्थ क्रिएशन का अतिरिक्त लाभ भी शामिल है. दूसरी ओर, टैक्स-फ्री बांड अपेक्षाकृत कम रिस्क के साथ टैक्स-फ्री आय चाहने वाले निवेशकों को आकर्षित करते हैं.

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