Income Tax Deduction : अंतिम समय में इनकम टैक्स की बचत करने के लिए अगर आप जीवन बीमा पॉलिसी खरीद रहे हैं तो थोड़ा संभलकर आगे बढ़ें. बीमा के नियम थोड़ा बदल गए हैं और अब सिंगल प्रीमियम वाली बीमा पॉलिसी पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया है.
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नई दिल्ली. नौकरीपेशा हैं तो आपकी कंपनी के एचआर की ओर से निवेश के प्रूफ मांगने की कवायद भी शुरू हो गई होगी. ज्यादातर लोगों को अभी तक एचआर की ओर से मेल भी आ गई होगी, क्योंकि वित्तवर्ष समाप्ति में वैसे तो 3 महीने बाकी हैं. इसे देखते हुए कई कर्मचारी तो लास्ट मिनट में निवेश कर टैक्स बचाने की कोशिश करते हैं. अगर आप भी ऐसी किसी कवायद में लगे हैं और लास्ट मिनट में बीमा पॉलिसी खरीदकर टैक्स बचाना चाहते हैं तो यह खबर आपके काम की है.
दरअसल, बीमा पॉलिसी को लेकर कुछ नियमों में बदलाव हुआ है. इसकी जानकारी न होने पर पॉलिसी खरीदने का आपका मकसद अधूरा रह सकता है. इसके लिए आप मोटा पैसा भी खर्च कर देंगे और उस पर टैक्स की बचत भी नहीं हो सकेगी. वैसे तो चालू वित्तवर्ष के खत्म होने में अभी 31 मार्च तक का समय है, लेकिन कंपनियों को फरवरी के आखिर तक अपना डाटा तैयार करना होता है, इसीलिए वे कर्मचारियों को निवेश के आंकड़े पेश करने के लिए मेल आदि कर रही हैं.
बीमा पर कितनी टैक्स बचत
इनकम टैक्स कानून की धारा 80सी के तहत जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने पर करदाता को सालाना 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है. यह छूट सिंगल प्रीमियम के भुगतान पर भी दी जाती है.
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यानी अगर आपने किसी वित्तवर्ष में जीवन बीमा पॉलिसी पर 1.5 लाख रुपये तक भुगतान किया है तो उस पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं.
क्या हुआ है नियमों में बदलाव
1 अप्रैल, 2012 के बाद खरीदी गई किसी भी जीवन बीमा पॉलिसी के सिंगल प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है. लेकिन, शर्त ये है कि आपका सालाना प्रीमियम पॉलिसी की सम एश्योर्ड राशि के 10 फीसदी (दिव्यांग हैं तो 15 फीसदी) से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर इस नियम का पालन होता है तो ऐसी पॉलिसी की मेच्योरिटी पर आपको टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा.
कितना लगेगा टैक्स
बीमा मामलों के जानकार मनोज जैन का कहना है कि अगर किसी सिंगल प्रीमियम लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का सालाना प्रीमियम उसके सम एश्योर्ड से 10 फीसदी से ज्यादा है तो मेच्योरिटी पर मिली राशि पर टैक्स चुकाना पड़ेगा. यह काफी बड़ा अमाउंट हो सकता है. आपकी बीमाकर्ता कंपनी इनकम टैक्स की धारा 194डीए के तहत मेच्योरिटी राशि पर 5 फीसदी का टैक्स काट सकती है.
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मान लीजिए आपने 18 लाख की पॉलिसी ली है और उसका सालाना प्रीमियम 2 लाख रुपये है तो इसके मेच्योर होने पर 5 फीसदी का टैक्स चुकाना पड़ेगा. इस तरह आपको मेच्योरिटी पर बोनस सहित अगर 20 लाख का भुगतान होता है तो इसका 5 फीसदी यानी 1 लाख रुपये इनकम टैक्स के तौर पर चुकाने पड़ सकते हैं.