Export Ban: निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद महाराष्ट्र के लासलगांव के थोक बाजार में कीमत 60% गिर गई. आपको बता दें रबी फसल की तुलना में खरीफ फसल की शेल्फ लाइफ कम होती है. खरीफ फसल की आवक बढ़ने से भी दाम में गिरावट आ रही है.
Onion Export News: प्याज की बढ़ती कीमत पर पिछले दिनों लगाम लगाने के लिए सरकार की तरफ से मार्च तक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई थी. लेकिन अब खुदरा बाजार में प्याज के दाम नीचे आने के बाद केंद्र सरकार प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटाने की योजना बना रही है. भारत प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, उत्पादन में गिरावट के बाद तीन महीने में घरेलू कीमतें बढ़ने के बाद निर्यात पर 31 मार्च तक के लिए प्रतिबंध लगाया गया था. सरकार के इस कदम से प्याज उत्पादक किसान काफी नाराज थे.
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कीमत गिरकर 1,500 रुपये क्विंटल तक आईं
एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि प्याज के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में दाम गिरकर 2 से 5 रुपये किलो तक आ गए थे. पिछले कुछ दिनों में आवक बढ़ने से कीमत गिरकर 1,500 रुपये क्विंटल तक हो गई है. इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद महाराष्ट्र के लासलगांव के थोक बाजार में कीमत 60% गिर गई. आपको बता दें रबी फसल की तुलना में खरीफ फसल की शेल्फ लाइफ कम होती है. खरीफ फसल की आवक बढ़ने से भी दाम में गिरावट आ रही है.
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25000 टन प्याज की खरीद की
दूसरी तरफ उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र ने बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए 25,000 टन प्याज की खरीद की है. सरकार बफर स्टॉक बनाए रखने, घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के साथ ही कीमतों पर लगाम लगाए रखने के मकसद से प्याज की खरीद कर रही है. सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बफर स्टॉक लक्ष्य को बढ़ाकर सात लाख टन कर दिया है, जबकि पिछले साल का वास्तविक स्टॉक तीन लाख टन का था.
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क्या होगा असर?
सरकार की तरफ से बफर स्टॉक बढ़ाने और खरीफ फसल की आवक बढ़ने का सीधा असर रिटेल मार्केट में प्याज की कीमत पर देखा जा रहा है. खुदरा बाजार में प्याज की कीमत गिरकर 25 से 30 रुपये किलो पर आ गई है. इससे पहले नवंबर में प्याज की कीमतें चढ़कर 60 से 80 रुपये किलो तक पहुंच गईं थीं. सरकार की कोशिश है कि प्याज की बढ़ती कीमत से आम जनता को राहत दी जाए और आने वाले समय में भी कीमत स्थिर रहे.