US-China Relations: अमेरिका में चल रही राजनीतिक गतिविधियों पर चीन गहरी नजर रख रहा है. नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बाइडेन बनाम ट्रंप के मुकाबले की संभावना सबसे अधिक है.
US-CHINA: आगामी अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अब यह लगभग तय हो गया है कि मुकाबला एक बार फिर जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने जा रहा है. पिछले हफ्ते अमेरिका में मतदाताओं ने सुपर ट्यूजडे के लिए वोट डाले. वहीं राष्ट्रपति जो बिडेन ने स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन में अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताएं बताईं. अमेरिका में चल रही राजनीतिक गतविधियों पर चीन गहरी नजर रख रहा है.
हालाकी चीन भी हाल ही में अपनी राजनीतिक प्रक्रिया के सबसे बड़े वार्षिक प्रदर्शन करने में बिजी था. बीजिंग में, देश भर से हजारों प्रतिनिधि कम्युनिस्ट पार्टी-नियंत्रित सरकार द्वारा निर्धारित वार्षिक एजेंडे पर मुहर लगाने के लिए एक बड़ी बैठक में शामिल हुए.
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इस कार्यक्रम के दौरान हालांकि वरिष्ठ चीनी नेताओं ने सार्वजनिक रूप से अमेरिकी चुनाव का उल्लेख नहीं किया. लेकिन वहां देश को एक हाई-टेक पावरहाउस में बदलने पर विचार विमर्श किया गया, जिसे बाइडेन प्रशासन के टेक्नोलॉजी प्रतिबंधों और भविष्य में अमेरिका-चीन संबंधों के खराब होने की स्थिति में देश की सुरक्षा के लिए एक तत्काल कोशिश के रूप में देखा गया.
चीनी राजनीति के पर्यवेक्षकों का कहना है कि बंद दरवाजों के पीछे, आगामी अमेरिकी चुनावों की चर्चा ट्रंप की वापसी की संभावनाओं की वजह से भी स्वभाविक है. जिन्हें व्यापक रूप से बाइडेन से कहीं अधिक सख्त नेता के तौर पर देखा जाता है.
जो बाइडेन और चीन
जो बाइडेन को चीन में व्यापक रूप से एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है, जिनकी वैश्विक स्थिरता में रुचि उन्हें कुछ क्षेत्रों में बीजिंग के साथ काम करने के लिए तैयार करती है. वह खुद शी के लिए भी अधिक परिचित व्यक्ति हैं, जिन्होंने एक दशक से अधिक समय के दौरान राष्ट्रपति से मुलाकात की है, जिसमें वह समय भी शामिल है जब वे दोनों उपराष्ट्रपति थे. दोनों ने हाल ही में नवंबर में हुए एक शिखर सम्मेलन में साथ बैठक की जिसमें संबंधों को स्थिर करने पर बल दिया गया.
हालांकि पर्यवेक्षकों का कहना है कि बाइडेन ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद चीन को निराश किया, क्योंकि उन्होंने बड़े पैमाने पर ट्रंप-युग की नीतियों को बरकरार रखा है. इसके अलावा बाइडेन ने अमेरिकी उच्च तकनीक और फंडिंग को रोकने के उद्देश्य से कई पॉलिसी बनाई.
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ट्रंंप की आहट से परेशान चीन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव अभियान के दौरान शी जिनपिंग की तारीफ कर चुके हैं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि अगर वह नवंबर में अमेरिकी चुनाव जीतते हैं तो वह चीनी सामानों पर अधिक टैरिफ लगाएंगे. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फॉक्स न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में में उन्होंने कहा कि टैरिफ 60% से अधिक हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘हमें यह करना होगा।’
ट्रंप लंबे समय से चीन पर अनुचित ट्रेडिंग प्रेक्टिस और बौद्धिक संपदा की चोरी का आरोप लगाते रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘आप जानते हैं, जाहिर तौर पर मैं चीन को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता. मैं चीन के साथ मिलना चाहता हूं. मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा है. लेकिन उन्होंने वास्तव में हमारे देश का फायदा उठाया है.’
जानकारों के अनुसार, अगर ट्रंप ऐसा कदम उठाते हैं यह दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण उथल-पुथल पैदा करेगा. यह अमेरिकी आयात में चीन की हिस्सेदारी को घटा देगा.
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ऐसा होगा, क्योंकि कोई नहीं कह सकता कि ट्रम्प क्या करेंगे, और यही सबसे बड़ी समस्या है.
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ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति चीनी समानों पर लगाया था टैरिफ
अपने राष्ट्रपति पद के दौरान, ट्रंप ने दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक कड़वे व्यापार युद्ध की शुरुआत की. उन्होंने सैकड़ों अरबों डॉलर मूल्य के चीनी सामानों पर टैरिफ लगाया।
ट्रंप प्रशासन ने पहली बार 2018 में चीनी आयात पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लेवी लगाना शुरू किया. यह नीति उस वर्ष के अंत में सी फूड से लेकर कमिकल तक के सामानों पर शुल्क तक बढ़ गई।बीजिंग ने सोयाबीन, गेहूं और पोल्ट्री सहित अमेरिकी आयात पर टैरिफ लगाकर जवाब दिया।