Stock Market Today: अमेरिका में इन्फ्लेशन डेटा उम्मीद से अधिक आने से यूएस मार्केट में अस्थिरता देखी जा रही है. जिसकी वजह से ग्लोबल मार्केट मं कमजोरी आई है. इससे घरेलू मार्केट में लगभग एक फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
Stock Market Today: मार्केट की शुरुआत कमजोर रही और शुक्रवार को इसमें और गिरावट आई. बुधवार को ऑलटाइम हाई पर पहुंचने के बाद निफ्टी-50 और सेंसेक्स में लगभग 1% की गिरावट देखी गई.
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ईद-उल-फितर की वजह से गुरुवार को शेयर मार्केट की छुट्टी थी. बुधवार को निफ्टी 22,775.70 के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया था, क्योंकि इतिहास में पहली बार 75,000 अंक (75,038.15) के ऊपर बंद होने से पहले सेंसेक्स भी 75,124.28 के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया था.
शुक्रवार को मार्केट में कमजोरी का कारण कमजोर ग्लोबल संकेत बताया गया. बुधवार रात में जारी अमेरिकी मुद्रास्फीति के डेटा उम्मीद से अधिक आए जिसके बाद बुधवार से अमेरिकी मार्केट अस्थिर बने हुए हैं. दरों में कटौती को स्थगित किए जाने को लेकर मार्केट पार्टिसिपैंट्स की चिंताएं बढ़ गई हैं. लंबे समय तक उच्च लेवल पर बने रहने से मार्केट और निवेशकों की उम्मीदें बढ़त पर बनी हुई हैं. बढ़ती बांड यील्ड और डॉलर इंडेक्स, बढ़ती कमोडिटी कीमतें, जियो-पॉलिटिकल टेंशन व अन्य चिंताएं बनी हुई हैं.
यहां पर पांच कारण बताए जा रहे हैं जिनकी वजह से आज शेयर मार्केट गिरावट दर्ज की गई है-
रेट कटौती में देरी
दुनिया भर में इक्विटी मार्केट इस उम्मीद में बढ़ रहे थे कि उच्च इंटरेस्ट रेट साइकल पीछे छूट गया है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व जल्द ही ब्याज दरों में कटौती शुरू कर देगा. हालांकि उम्मीद से अधिक मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने इस उम्मीद धूमिल कर दिया है कि यूएस फेड जल्द ही ब्याज दरों में कटौती शुरू कर सकता है.
अब एक्सपर्ट्स को नहीं लगता कि यूएस फेड जून की शुरुआत में ब्याज दरों में कटौती करेगा. इससे 2024 में कम से कम तीन दरों में कटौती की उम्मीदों पर भी असर पड़ रहा है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने बताया कि ग्लोबल इक्विटी मार्केट के नजरिए से अमेरिकी मुद्रास्फीति नकारात्मक है क्योंकि इससे अमेरिका द्वारा तीन बार दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई है.
FPI प्रवाह पर प्रभाव
अपेक्षा से अधिक अमेरिकी मुद्रास्फीति का मतलब यह भी है कि अमेरिकी बांड यील्ड और डॉलर इंडेक्स, दोनों में ग्रोथ हुई है. मजबूत डॉलर और उच्च बांड यील्ड, दोनों विदेशी प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि उभरते मार्केटों में निवेश कम आकर्षक हो जाता है.
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वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि
बेस मेटल के साथ-साथ पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कीमतें भी बढ़ गई हैं. लंदन मेटल एक्सचेंज में अल्युमीनियम की कीमतें जो मार्च के मध्य में 2220 डॉलर प्रति टन के स्तर के करीब थीं, बढ़कर 2400 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई हैं. मार्च में एलएमई पर तांबे की कीमतें 8700 डॉलर प्रति टन के करीब थीं, जो अब बढ़कर 9200 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई हैं. खासकरके, ब्रेंट क्रूड की कीमत जो मार्च की शुरुआत में लगभग 81-82 डॉलर प्रति बैरल थी, अब 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कमोडिटी की बढ़ती कीमतें एक बार फिर इन्फ्लेशन को प्रभावित कर सकती हैं, अगर वे लंबे समय तक ऊंची बनी रहीं
जियो-पॉलिटिकल रिस्क
इजराइल हमास संघर्ष और युद्ध के बीच मध्य पूर्व में बढ़े तनाव ने एक बार फिर निवेशकों को सतर्क कर दिया है और संघर्ष के और बढ़ने या मध्य पूर्व के अन्य क्षेत्रों में फैलने का असर हो सकता है.
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चौथी तिमाही की अर्निंग्स
मार्केट का ध्यान इंडिया इंक की अर्निंग्स पर केंद्रित हो जाएगा और एक्सपर्ट्स को चौथी तिमाही की अर्निंग्स से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं. जेफ़रीज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के विश्लेषकों ने अपने Q4 परिणाम पूर्वावलोकन में कहा था कि मार्च 2024 तिमाही के लिए इनकम ग्रोथ घटकर 7% सालाना के 5-तिमाही निचले स्तर पर आ जाएगी क्योंकि बैंकों और आईटी सेक्टर की अर्निंग में गिरावट आएगी.