Credit Score: कहा जाता है कि बार-बार क्रेडिट स्कोर देखने से आपका सिबिल स्कोर (Cibil Score) कम हो जाता है. लेकिन क्या ये सच है? इस बारे में हम पता नहीं करते, बस कही-सुनी बातों को सच मान लेते हैं. क्रेडिट स्कोर के कम होने की कई वजह हो सकती हैं, लेकिन आमतौर पर सिबिल स्कोर कम होने की वजह समय से लोन न चुकाना होता है.
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रीपेमेंट तय तिथि पर न करने से आपकी विश्वसनीयता प्रभावित होती है और क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है. बार-बार स्कोर चेक करने से ये कम होता है या नहीं, इसके लिए आपको पहले हार्ड इन्क्वायरी (Hard Enquiry) और सॉफ्ट इन्क्वायरी (Soft Enquiry) को समझना होगा.
क्या है हार्ड इन्क्वायरी
जब कोई बैंक या NBFCs आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो इसे हार्ड इन्क्वायरी कहते हैं. अगर एक साथ कई लेंडर्स आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो इससे आपके सिबिल स्कोर पर असर पड़ सकता है. दरअसल जब कोई व्यक्ति लोन लेने जाता है तो वो एक साथ कई बैंकों में संपर्क करता है. उस समय बैंक की ओर से उसका सिबिल स्कोर चेक किया जाता है. इस तरह अलग-अलग बैंक जब किसी का सिबिल स्कोर चेक करते हैं तो स्कोर में कुछ पॉइंट की गिरावट आ जाती है. आपके क्रेडिट रिपोर्ट में इसकी डीटेल दी जाती है कि आपके लिए कब–कब हार्ड-इन्क्वायरी की गई है.
क्या होता है सॉफ्ट इन्क्वायरी
जब आप अपने स्कोर को किसी ऐप के जरिए चेक करते हैं तो इसे सॉफ्ट इन्क्वायरी कहा जाता है. आमतौर पर सॉफ्ट इन्क्वायरी से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.
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बल्कि अगर आप समय-समय पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं, तो आप अपने स्कोर को लेकर जागरुक रहते हैं. ऐसे में स्कोर गिरने पर आप उसे सुधारने के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं. बल्कि कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट ये सलाह देते हैं कि क्रेडिट स्कोर 3-6 महीनों के पीरियड में चेक करना चाहिए. इसके अलावा आप अगर किसी भी तरह के लोन या फिर क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं तो आपको खासकर एक बार अपना क्रेडिट स्कोर जरूर चेक करना चाहिए.
ये भी हैं क्रेडिट स्कोर गिरने की वजह
क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच निर्धारित किया जाता है. आमतौर पर 750 से ज्यादा क्रेडिट स्कोर को अच्छा माना जाता है. बता दें क्रेडिट स्कोर गिरने की मुख्य वजह बेशक तय समय में लोन रीपेमेंट न करना है, लेकिन इसके अलावा भी कई फैक्टर्स आपके स्कोर को प्रभावित करते हैं जैसे-
क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो गड़बड़ होना
कम समय में कई बार लोन के लिए अप्लाई करना
लोन सेटलमेंट करना
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किसी ऐसे व्यक्ति का लोन गारंटर बनना जो समय से लोन न चुकाए
क्रेडिट कार्ड का पेमेंट समय पर न करना आदि