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CBSE: अब रटना नहीं सीखना जरूरी, नए एग्जाम पैटर्न का 11वीं-12वीं के छात्रों पर क्या पड़ेगा असर?

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CBSE New Exam Pattern: सीबीएसई ने कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए नया एग्जाम पैटर्न इंट्रोड्यूज किया है. आप इस खबर में नए एग्जाम पैटर्न के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं और नए एग्जाम पैटर्न के फायदे और चुनौतियों को भी समझ सकते हैं. 

CBSE 11th-12th New Exam Pattern: शिक्षा की बढ़ती जरूरतों से मेल खाने की निरंतर प्रवृत्ति और छात्रों को समकालीन समय के लिए तैयार करने के संकल्प के साथ, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 11वीं और 12वीं के परीक्षा पैटर्न में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. सीबीएसई के नए परीक्षा पैटर्न का उद्देश्य क्वेश्चेन फॉर्मट से लेकर असेसमेंट पैटर्न तक विभिन्न डोमेन को समाहित करने वाले छात्रों के बीच समग्र विकास और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देना है.

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आइए सीबीएसई द्वारा किए गए बदलावों पर एक नजर डालें

सबसे पहले फाइनल बोर्ड परीक्षा परिणाम के महत्व को 100 से घटाकर 80 प्रतिशत करना है. बाकी ग्रेड का कैल्कुलेशन असेसमेंट, प्रैक्टिकल एग्जाम और प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर किया जाएगा, जो शेष 20 प्रतिशत का हिस्सा होगा.

इस प्रकार के बदलाव का कारण एक ऐसा इकोसिस्टम बनाना है, जो रटने की प्रक्रिया को कम करता है और कक्षा में सिखाए गए कॉन्सेप्ट के कॉम्पिटेंसी-बेस्ड एप्लिकेशन पर ध्यान केंद्रित करता है. इसका उद्देश्य शिक्षार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग क्षमताओं को विकसित करने में सक्षम बनाना है.

एमसीक्यू, केस-बेस्ड और सोर्स-बेस्ड प्रश्नों के रूप में कॉम्पिटेंसी-बेस्ड प्रश्नों का प्रतिशत 40 से 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जबकि कंस्ट्रक्टिड रिस्पॉन्स क्वेश्चेन का प्रतिशत जिसमें छोटे और लंबे उत्तर दोनों शामिल हैं, उसे 40 से 30 फीसदी तक कम कर दिया गया है.

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CBSE 11th-12th New Exam Pattern: छात्रों पर पड़ेगे ये अहम प्रभाव

सीबीएसई परीक्षा पैटर्न में लागू किए गए बदलावों का छात्रों पर खासा असर पड़ सकता है. कॉम्पिटेंसी-बेस्ड प्रश्नों में वृद्धि से छात्रों को रोजमर्रा की पढ़ाई में प्रैक्टिकल स्किल्स लागू करने में मदद मिलेगी और कक्षा में शामिल विषयों के बारे में उनकी समझ को बढ़ाया जा सकेगा, जिससे विषयों की गहन अवधारणा तैयार होगी.

आजकल टेक्नोलॉजिकल एडवांस्मेंट जो शिक्षकों को इंटरनल इवैल्युएशन और प्रोजेक्ट वर्क को शामिल करने के लिए प्रेरित करती है, उसे छात्रों में रचनात्मकता और स्वतंत्र रूप से सीखने को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी तकनीकों के रूप में देखा जाता है.

इसके अलावा, एप्लिकेशन-ओरिएंटिड प्रश्नों पर निर्भरता छात्रों को उनकी शैक्षिक यात्रा के अगले फेज के लिए आवश्यक आधार प्रदान करती है. हालांकि, सीबीएसई परीक्षा फॉर्मेट में बदलाव उन छात्रों के लिए एक बिल्कुल नया अनुभव हो सकता है जो परीक्षा के ट्रेडिशनल मोड से परिचित हैं.

नई असेसमेंट मैथड को अपनाने और एप्लिकेशन-बेस्ड प्रश्नों में महारत हासिल करने के लिए मानसिकता और पढ़ाई की आदतों में बदलाव की आवश्यकता होगी.

सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं में इंटरनल असेसमेंट के बढ़ते वेटेज के कारण अंतिम घंटे में प्रयास करने के बजाय पूरे शैक्षणिक वर्ष में लगातार प्रयास करने की आवश्यकता होगी.

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CBSE 11th-12th New Exam Pattern: फायदे और चुनौतियां

सीबीएसई असेसमेंट तकनीकों में नए डेवलपमेंट के अपने फायदे और नुकसान हैं. यह इवैल्युएशन मैथड छात्रों को तनाव और चिंता से मुक्त करने और उन्हें सीखने के अधिक अनुकूल माहौल में ढालने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है. इस पाठ्यक्रम की क्रिटिकल थिंकिंग और कॉम्पिटेंसी बेस्ड दृष्टिकोण छात्रों को ऐसे सिक्ल सेट के साथ तैयार करता है, जो उनके डेवलपमेंट और भविष्य की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं.

हालांकि, स्कूलों में इंटरनल असेसमेंट में एकरूपता सुनिश्चित करना, प्रोजेक्ट वर्क की गुणवत्ता बनाए रखना और छात्रों की कॉन्सेप्ट को लेकर समझ और प्रैक्टिकल स्किल का प्रभावी ढंग से असेसमेंट करने के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग देना कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जिन पर काम करने की आवश्यकता है.

नया एग्जान पैटर्न उस सामान्य आदत से बाहर निकलने में भी मदद करेगा, जिसमें छात्र पारंपरिक दृष्टिकोण के अधिक आदी होते हैं. यह कम्युनिकेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग एक्सरसाइज की आवश्यकता पर जोर देता है.

CBSE 11th-12th New Exam Pattern: शिक्षक और स्कूल की तैयारी

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के नए पैटर्न के सफल अनुप्रयोग से शिक्षकों और स्कूलों की तैयारियों पर जोर पड़ेगा. टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम टीचर्स को बदलावों की व्यापकता के साथ तालमेल बिठाने के लिए उनके संबंधित स्किल और लर्निंग उनकी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

असेसमेंट प्रोसेस को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए स्कूलों में एक इंटरनल उपाय की वकालत करने की आवश्यकता है.

स्कूलों को छात्रों की सफलता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक मटेरियल और टूल्स भी उपलब्ध कराने चाहिए. एक सफल परिवर्तन प्राप्त करने के लिए चुनौतियों का समाधान करने और समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए स्कूल-कॉलेज कोलैबोरेशन और शैक्षिक अधिकारियों की आवश्यकता होगी.

वहीं, लगातार फीडबैक मकैनिजम और लगातार मोनीटरिंग सुधार के क्षेत्रों को उजागर करने और समय-समय पर एग्जाम फॉर्मेट को अपग्रेड करने में मदद कर सकती है.

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