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Explainer: क्या होता है राइट टू रिपेयर कानून? जिसके लागू होने से बचेगा आपका पैसा, जानें क्या-क्या होगा बदलाव

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What Is Right To Repair Law:  गूगल और सैमसंग ने एप्पल की राह अपनाते हुए, अपने ग्राहकों को 7 साल तक सॉफ्टवेयर अपडेट देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है. ये वो दौर है जब 3 साल बाद अपडेट बंद होने की वजह से लोग नए फोन खरीदने पर मजबूर थे. 

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लेकिन अब ‘राइट टू रिपेयर’ कानून के आने से कंपनियों को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है. नतीजतन, अब आपके स्मार्टफोन 7 साल तक साथ निभाएंगे. यह बदलाव न सिर्फ कंज्यूमर्स के लिए बड़ी राहत है, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करने में भी मददगार होगा.

गूगल और सैमसंग ने लिया ऐतिहासिक फैसला

टेक फिक्स के लेखक और मोबाइल विश्लेषक ब्रायन एक्स चेन के अनुसार, गूगल और सैमसंग ने ऐतिहासिक फैसला लिया है. अब पिक्सल 8, 8ए और गैलेक्सी एस24 को 7 साल तक सॉफ्टवेयर अपडेट मिलेंगे. यह बदलाव एपल की रणनीति से प्रेरित है, जिसने पहले ही अपने iPhones के लिए लंबे समय तक अपडेट देने का वादा किया था. 

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डिवाइस को लॉन्ग लाइफ देना बड़ी चुनौती

अब सवाल उठता है कि टेक कंपनियां डिवाइस को लॉन्ग लाइफ कैसे दे पाएंगी? ये कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. इगर राइट टू रिपेयर लॉ के बाद कंपनियों को डिवाइस को बिना किसी आनाकानी के सुधारकर देना ही पड़ेगा. बता दें, कंज्यूमर्स खर्चा तो कर ही रहे हैं, साथ ही ई-कचरा भी इकट्ठा कर रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो भारत में घरों में मोबाइल और लैपटॉप जैसे 20 करोड़ से ज्यादा गैजेट खराब पड़े हैं. 

क्या होता है राइट टू रिपेयर कानून

राइट टू रिपेयर लॉ कोई नया नहीं है. इसे अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सहित कई देशों में मान्यता दी गई है. अगर कोई कंज्यूमर अपना गैजेट रिपेयर के लिए ले जाता है तो उसे ठीक करके देना ही पड़ता है.

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वो किसी भी हालत में रिपेयर करने से मना नहीं कर सकता. पार्ट पुराना हो… तब भी उसको रिपेयर करना पड़ेगा. इन देशों में कंपनी को ही अपने सर्विस सेंटर में डिवाइस को रिपेयर करना पड़ता है. 

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