बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत अब दुनिया में स्टार्टअप इकोसिस्टम का एक केंद्र बन गया है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-2023 के अनुसार लगभग 90,000 से ज्यादा स्टार्टअप्स और 107 यूनिकॉर्न कंपनियां, जिनका मूल्यांकन 30 अरब है, के साथ यह विश्व में तीसरे स्थान पर आता है।
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यह आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-2023 के अनुसार 2016 में 452 स्टार्टअप्स के ठीक विपरीत है। पिछले दशक में स्टार्टअप संस्कृति ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार को बढ़ावा दिया है। इन अधिकांश कंपनियों का उद्गम टियर II और टियर III शहरों से हो रहा है।
भारत सरकार ने इसके साथ ही मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया अभियान को भी प्रोत्साहित किया है, जिसके तहत उद्यमियों को उनके व्यवसायों को बनाने के लिए काफी समर्थन और संसाधन मिल रहे हैं।
पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महावीर लुनावत मानते हैं कि एक निवेशक निवेश से पहले कई बातों को जांचता महत्वपूर्ण समझता है।
निवेश से पहले एक निवेशक कंपनी को लेकर जांचता है ये बातें
व्यवसाय का ढांचा: निवेश से पहले निवेशक व्यवसाय के ढांचे को लेकर जानकारियां खोजेगा। व्यवसाय शुरू करने के पीछे कारण क्या है? संस्थापक अपने व्यवसाय को किस दिशा में जाते हुए देख रहे हैं?
क्या उनका विजन स्पष्ट है? व्यापार योजना क्या है और इसे कैसे हासिल किया जाएगा? जैसे सवाल निवेशक के मन में आएंगे। अगर संस्थापक का विजन साफ होगा तो उनके पास इन सभी प्रश्नों के उत्तर होंगे और वह निवेशकों का विश्वास जीत सकेगा।
व्यवसाय की प्रगति: निवेशक स्केलेबिलिटी की संभावना वाले व्यवसायों की तलाश में हैं। वे यह जानना चाहते हैं
कि एक खास व्यवसाय बड़े पैमाने पर कैसा प्रदर्शन करेगा और क्या उसमें बनने वाला उत्पाद मार्केट में फिट है।
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क्या उनका निवेश व्यापार की वृद्धि में मदद कर सकता है। निवेशकों को यह जानना आवश्यक है कि क्या उनका निवेश उन्हें लाभ देगा।
प्रबंधन की विशेषताएं: एक व्यवसाय उतना ही मजबूत होता है जितना कि उसके कर्मचारी। निवेशक जुनूनी संस्थापकों की तलाश में रहते हैं जो कि व्यवसाय में महत्पूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
उन्हें उत्पाद में विश्वास होता है और इसके बारे में आत्मविश्वास रहता है। यह सुनिश्चित करना नेतृत्व का काम है कि पूरी टीम का लक्ष्य पर केंद्रित हो।
प्रोडक्ट की प्रोफाइल और मार्केट फिट: निवेशक उन आयडिया को फंड करना चाहते हैं जिनमें प्रतिस्पर्धा की कोई विशेषता हो औरउत्पाद में कुछ ऐसा हो जो इसे अलग बनाता है। उत्पाद टिकाऊ हो और बाजार में उसकी मांग होनी चाहिए।
व्यापार की बाधाएं और जोखिम के कारक: उद्योग में प्रतिस्पर्धा, कंपनी के आकार के चलते उसकी सौदेबाजी की ताकत और अर्थव्यवस्थाओं के पैमाने आदि कुछ एसी बाधाएं हैं जो एक स्टार्ट अप को सीमित करते हैं।
समूचे निवेश को खो देने का खतरा एक वास्तविक संभावना है क्योंकि इन स्टार्टअप्स के पास कोई सफलता का इतिहास नहीं है।
लाभप्रदता, मापने की क्षमता और स्थिरता: अधिकांश निवेशक वृद्धि संभावना और पहले से भांप लिए जा सकने वाले व्यावसायिक अवसरों की तलाश में होते हैं। व्यवसाय के लिए एक बाजार होना चाहिए जिस तक एक
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महत्वपूर्ण पहुंच हो और लाभ पैदा होने की गारंटी हो।
निकासी की रणनीति: निवेशकों के लिए यह जानना जरूरी है कि उनका निवेश समय पर उन्हें लाभ देगा की नहीं। इसके लिए, व्यवसाय का एक मजबूत राजस्व मॉडल या भविष्य के मार्गों के साथ आगे की योजना होनी चाहिए जिससे निवेशक अपनी निकासी योजना बना सकें।