नवाज शरीफ और अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर में एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद 21 फरवरी, 1999 को एक समझौते पर साइन किए थे. दोनों देशों ने शांति और स्थिरता की बात कर भविष्य में मजबूत रिश्ते को बल दिया था
नई दिल्ली. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मंगलवार को स्वीकार किया कि इस्लामाबाद ही साल 1999 में उनके और भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के बीच हुए लाहौर समझौते को तोड़ने के लिए जिम्मेदार है. तब जनरल परवेज मुशर्रफ के कारगिल युद्ध छेड़कर इस समझौते का उल्लंघन किया था. शरीफ ने पीएमएल-एन की बैठक में कहा, “28 मई, 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए. उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ एक समझौता किया, लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया. यह हमारी गलती थी.”
नवाज शरीफ और अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर में एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के बाद 21 फरवरी, 1999 को एक समझौते पर साइन किए थे. दोनों देशों ने शांति और स्थिरता की बात कर भविष्य में मजबूत रिश्ते को बल दिया था, लेकिन कुछ महीने बाद जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ के कारण कारगिल युद्ध हुआ. शरीफ ने कहा, “राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण करने से रोकने के लिए पाकिस्तान को 5 अरब अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन मैंने इनकार कर दिया. अगर (पूर्व प्रधानमंत्री) इमरान खान जैसे व्यक्ति मेरी सीट पर होता तो उन्होंने क्लिंटन की पेशकश स्वीकार कर ली होती.”
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नवाज शरीफ बने पार्टी अध्यक्ष
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को मंगलवार को सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) पार्टी का ‘निर्विरोध’ अध्यक्ष चुना गया. पनामा पेपर्स लीग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पद छोड़ने के लिए मजबूर हुए शरीफ छह साल बाद दोबारा इस पद पर चुने गए हैं. 74 साल के नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. पाकिस्तान में अरेस्ट से बचने के लिए वो चार साल तक ब्रिटेन में रहे. देश में सत्ता परिवर्तन के बाद पिछले साल अक्टूबर में वो पाकिस्तान में लौटकर वापस आए थे.
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बिना किसी विरोध के चुने गए
नवाज शरीफ को पार्टी की आम परिषद की बैठक में अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुना गया. पीएमएल-एन के चुनाव आयुक्त राणा सनाउल्लाह ने आम परिषद को बताया कि पार्टी अध्यक्ष पद के लिए केवल नवाज को ही नामित किया गया था. सनाउल्लाह ने अपनी सीटों पर खड़े होकर उनके नामांकन का समर्थन कर रहे आम परिषद के सदस्यों से मंजूरी मांगी. उन्होंने उनके पक्ष में नारे लगाए.