अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मोदी 3.0 में सुधारों की रफ्तार पहले की तरह बरकरार रहेगी। साथ ही 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे श्रम और विनिर्माण सहित कई क्षेत्रों में आर्थिक सुधार और नीति समीक्षा जारी रखने की जरूरत होगी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि गठबंधन की राजनीति के कारण लोकलुभावन उपायों पर खर्च बढ़ सकता है।
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एएनआई, नई दिल्ली। नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) निर्वाचित नेता नरेंद्र मोदी आज शाम 7:15 बजे ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए भारत प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। एक दशक तक पूर्ण बहुमत वाली सरकार चलाने के बाद मोदी अब गठबंधन सरकार चलाएंगे। इसमें तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख भागीदार होंगे। हालांकि, गठबंधन के बावजूद विशेषज्ञों को लगता है कि नई सरकार के आर्थिक एजेंडे में बहुत अधिक बदलाव नहीं होगा।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मोदी 3.0 में सुधारों की रफ्तार पहले की तरह बरकरार रहेगी और ये धीमे नहीं होंगे। साथ ही, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे, श्रम और विनिर्माण सहित कई क्षेत्रों में आर्थिक सुधार और नीति समीक्षा जारी रखने की जरूरत होगी।
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इंफ्रा पर जोर देने की जरूरत
चौदहवें वित्त आयोग के सदस्य और राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के पूर्व निदेशक एम गोविंद राव ने कहा, ‘सरकार 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके लिए मार्केट में दूरगामी सुधार करने होंगे। अर्थव्यवस्था को खोलना और बुनियादी ढांचे के विकास जोर देना होगा। साथ ही, श्रम आधारित मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर जोर रहना चाहिए।’
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गोविंद राव ने कहा कि गठबंधन के माहौल में बड़े पैमाने पर सुधार करना जाहिर तौर पर आसान नहीं होता, लेकिन सरकार का फोकस इन्हीं चीजों पर रहना चाहिए। अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि गठबंधन की राजनीति के कारण लोकलुभावन उपायों पर खर्च बढ़ सकता है। सरकार “मेड इन इंडिया” सुधारों पर अपना ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगी। बुनियादी ढांचा और विनिर्माण जैसे क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता बने रहेंगे।
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लोकलुभावन खर्च बढ़ेगा
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के रिटायर्ड पॉलिटिकल इकोनॉमिस्ट और लेखक गौतम सेन ने कहा, ‘अधिक लोकलुभावन व्यय की ओर झुकाव होने की संभावना है। गठबंधन सहयोगियों के राज्यों को अधिक संसाधन मिल सकते हैं। लेकिन भारत के सार्वजनिक वित्त की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत है और आरबीआई से महत्वपूर्ण भंडार द्वारा इसे बढ़ाया जाएगा। भारत का बुनियादी ढांचा व्यय तेजी से जारी रहेगा, लेकिन शायद इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी अधिक रहेगी।’
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बजट से पता चलेगा एजेंडा
जुलाई में घोषित होने वाले पूर्ण बजट में मोदी 3.0 के आर्थिक एजेंडे का पता चलेगा। कई अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि बजट में मुख्य रूप से किसानों और गरीबों के लिए कल्याण और सहायता योजनाओं में तेजी देखने को मिलेगी। बजट नई गठबंधन सरकार के लिए नीतिगत प्राथमिकताओं को इंगित करेगा और अगले पांच वर्षों के लिए विकास की दिशा तय करेगा।
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