पूरा देश अब यूपीआई से पेमेंट कर रहा है. अगर यह कुछ टाइम के लिए काम न करे और पेमेंट फेल हो जाए तो लोगों को कई स्तर पर नुकसान हो सकता है. आरबीआई ने बताया है कि इसके लिए एनपीसीआई जिम्मेदार नहीं है. रिजर्व बैंक ने बैंकों को इसके लिए कसूरवार ठहराया है.
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नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों से यूपीआई (UPI) पेमेंट में दिक्कतें आने की शिकायतें सामने आ रही हैं. पेमेंट्स फेल होने के बाद कई लोग लगातार सोशल मीडिया पर अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं. एनपीसीआई के आंकड़े कहते हैं कि प्रतिदिन 450 मिलियन से अधिक UPI लेन-देन हो रहे हैं, और मई 2024 में, बैंकों ने 31 बार डाउनटाइम का अनुभव किया. इसके कारण पेमेंट गेटवे 47 घंटे से अधिक समय के लिए ऑफ़लाइन रहे. इस सबके बीच, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि इसमें नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) का कसूर नहीं है. ऐसा बैंकों द्वारा इस्तेमाल की जा रही पुरानी टेक्नोलॉजी की वजह से हो रहा है.
आरबीआई की पॉलिसी मीटिंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कि यूपीआई पेमेंट में डाउनटाइम की वजह एनपीसीआई या उसका इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. इसके बजाय, बैंक की तरफ से ये दिक्कत हो रही है, जिसमें नेटवर्किंग लिंक्स भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इस इशू को उठाया गया है और इसके समाधान भी होंगे.
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4 जून को निवेशकों ने सहा लॉस!
डिजिटल पेमेंट्स फेल हो रहे हैं, जिससे बैंकिंग ग्राहकों को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. विशेष रूप से, 4 जून को, कई निवेशक बाजार में गिरावट के दौरान लेन-देन करने में असमर्थ रहे, जिसके परिणामस्वरूप फाइनेंशियल अवसरों का नुकसान हुआ. रेगुलेट की गई संस्थाओं को सभी सिस्टम आउटेज की रिपोर्ट देनी होती है, चाहे वे निर्धारित हों या एकाएक आई हुईं. आरबीआई इन घटनाओं को कम से कम करने का प्रयास कर रहा है. दावा है कि ऐसी प्रॉब्लम्स को अब 1% से कम कर दिया गया है.
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बैंकों की प्रणालियों पर दबाव को कम करने के लिए, आरबीआई ने UPI लाइट पेश किया है, जो प्रति माह 10 मिलियन लेन-देन को संभालता है, और डिजिटल भुगतान की विश्वसनीयता को बढ़ाने के अपने निरंतर प्रयासों का हिस्सा है.