Fuel Price Under GST: पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की कीमत पर एक्साइज ड्यूटी से जहां केंद्र सरकार की कमाई होती है, वहीं राज्य सरकारें वैट (VAT) लगाकर अपना राजस्व बढ़ाती हैं. ईंधन को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने से कीमत में भारी कमी होगी और जनता को महंगाई से राहत मिलेगी. आइए जानते हैं ईंधन पर जीएसटी लागू होने से कीमतें कितनी कम हो सकती है.
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नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को दोबारा पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मंत्रालय का पदभार संभालते ही पुरी ने कहा कि वह पेट्रोल, डीजल और नेचुरल जैसी वस्तुओं को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने पर विचार कर रहे हैं. ऐसा होने पर ईंधन की महंगी कीमत से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है. यह पहली बार नहीं है कि पुरी ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर जोर दिया है. यहां तक कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पिछले साल नवंबर में कहा था कि इसे लागू करने से लोगों को फायदा होगा.
हालांकि, पुरी ने पहले हवाला दिया था कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने के लिए राज्यों को सहमत होना होगा, जिनके लिए ईंधन और शराब प्रमुख राजस्व के श्रोत हैं. अगर पेट्रोल और डीजल पर मौजूदा टैक्स सिस्टम को खत्म कर जीएसटी लागू किया गया तो इनकी कीमतें काफी कम हो सकती हैं. आइये आपको बताते हैं कि यदि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो इनकी कीमतें कितनी कम हो सकती हैं.
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ईंधन की कीमतों में 50% से ज्यादा है टैक्स
वर्तमान में पेट्रोल की खुदरा कीमत में लगभग 55 प्रतिशत तक केंद्र और राज्य के करों का हिस्सा है. अगर दिल्ली की बात की जाए, तो यहां पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये प्रति लीटर है. इंडियन ऑयल कारपोरेशन की वेबसाइट के मुताबिक, दिल्ली में डीलर को पेट्रोलियम कंपनी से मिलने वाले पेट्रोल के दाम 55.66 रुपये प्रति लीटर हैं. इसमें 19.90 रुपये की एक्साइज ड्यूटी, 3.77 रुपये का डीलर कमीशन और 15.39 रुपये का वैट लगाया जाता है. इस तरह ग्राहकों तक आते-आते 55.66 रुपये का पेट्रोल 94.72 रुपये प्रति लीटर का हो जाता है. इसी तरह डीजल के दाम भी कम हो सकते हैं.
जीएसटी लागू होने से घटेंगी कीमतें
मौजूदा समय में जीएसटी में करों को चार स्लैब – 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत में बांटा गया है. अगर 28 फीसद वाले सबसे महंगे स्लैब में ईंधन को रखा गया तब भी पेट्रोल की कीमतें मौजूदा रेट से काफी कीम हो जाएगी. अनुमान लगाएं तो 55.66 रुपये के डीलर प्राइस पर यदि 28% की दर से जीएसटी लगाया जाए तो पेट्रोल की खुदरा कीमत 72 रुपये के आस-पास आ सकती है. यानी पेट्रोल की खुदरा कीमत 22-23 रुपये तक कम हो सकती है.
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एक्साइज और वैट से कमाई करती हैं सरकारें
पेट्रोल-डीजल की कीमत पर एक्साइज ड्यूटी से जहां केंद्र सरकार की कमाई होती है, वहीं राज्य सरकारें वैट लगाकर अपना राजस्व बढ़ाती हैं. राज्यों में वैट की अलग-अलग दरों के वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी राज्यों के अनुसार अलग-अलग होती हैं. दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत पर 35 रुपये के आस-पास का टैक्स शामिल होता है.
इसमें तकरीबन 20 रुपये केंद्र सरकार की झोली में जाते हैं, तो राज्य सरकार लगभग 10 रुपये की कमाई करती है. राज्यों में ईंधन की कीमत पर वैट अलग-अलग हैं. जैसे आंध्र प्रदेश में 31%, कर्नाटक में 25.92%, महाराष्ट्र में 25% और झारखंड में पेट्रोल पर 22% के करीब वैट वसूला जाता है. वहीं, डीजल की बात करें तो इस पर आंध्र प्रदेश में 22%, छत्तीसगढ़ में 23%, झारखंड में 22% और महाराष्ट्र में 21% वैट लगता है. इसी तरह अन्य राज्यों में भी इसकी वसूली की जाती है.