Trai Future Planning: ट्राई का कहना है कि स्पेक्ट्रम की तरह फोन नंबर की मालिक सरकार है. सरकार ही टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस के दौरान सिर्फ इन नंबरों का यूज करने का हक देती है.
ये भी पढ़ें:- आतंकियों का अब होकर रहेगा अंत… बन रहा है मास्टर प्लान, अमित शाह ने संभाली कमान, हाई लेवल मीटिंग शुरू
Trai News: चुनाव बाद मोबाइन फोन यूजर्स के लिए बड़ी खबर आ रही है. जी हां, आपका फोन ऑपरेटर यानी फोन चलाने वाली कंपनी आपके स्मार्टफोन और लैंडलाइन नंबर के लिए चार्ज ले सकती है. अगर टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई का प्रस्ताव लागू हुआ तो यह सिस्टम जल्द लागू हो जाएगा. ट्राई को लगता है कि फोन नंबर ‘बहुत मूल्यवान सार्वजनिक संसाधन है जो असीमित नहीं है’ और मोबाइल ऑपरेटरों पर चार्ज लगाया जा सकता है. वे बाद में इसे इसे यूजर्स से वसूल सकते हैं.
सख्ती बढ़ने से टेलीकॉम कंपनियां फोन नंबर का सही यूज करेंगी
ट्राई की तरफ से यह भी प्लान किया जा रहा है कि उन कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाए जो कम इस्तेमाल हो रहे फोन नंबर को अपने पास रोककर रखती हैं. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी शख्स के पास 2 सिम कार्ड हैं और वह एक का यूज ही नहीं कर रहा. लेकिन कंपनी की तरफ से उसे इस डर से बंद नहीं किया जा रहा कहीं ग्राहक न चला जाए. सख्त नियम बनाने से यह जरूरी नहीं कि टेलीकॉम कंपनियां मिले हुए फोन नंबर का सही इस्तेमाल करेंगी.
ये भी पढ़ें– Explainer: दिल्ली में क्यों हो रही पानी की कमी? कहां से मिलता है पानी; जान लीजिए जल संकट की असली वजह
स्पेक्ट्रम की तरह फोन नंबर की मालिक सरकार
किसी भी सीमित सरकारी संसाधन का सही इस्तेमाल हो, यह तय करने के लिए उसे देते समय चार्ज लगाया जा सकता है. साथ ही, कम इस्तेमाल वाले नंबरों को जमा करके रखने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगाकर भी सही इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सकता है. ट्राई का कहना है कि स्पेक्ट्रम की तरह फोन नंबर की मालिक सरकार है. सरकार ही टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस के दौरान सिर्फ इन नंबरों का यूज करने का हक देती है.
नए टेलीकॉम कानून में भी ऐसा ही प्रावधान
पिछले साल दिसंबर में पास हुए नए टेलीकॉम कानून में भी ऐसा ही प्रावधान है. इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों से नंबरों के लिए एक तय चार्ज शुल्क जा सकता है. इसे तकनीकी भाषा में ‘टेलीकॉम आइडेंटिफायर्स’ (telecom identifiers) कहा जाता है. ट्राई का कहना है कि मोबाइल कंपनियों पर चार्ज लगाने का यह तरीका पहले से ही कई देशों में लागू है. ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, बेल्जियम, फिनलैंड, ब्रिटेन, ग्रीस, हांगकांग, बुल्गारिया, कुवैत, नीदरलैंड्स, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और डेनमार्क आदि में फोन नंबरों के लिए चार्ज लिया जाता है.
इन तीन तरह से लिया जा सकता है पैसा
यह पैसा कभी-कभी टेलीकॉम कंपनियों पर तो कभी सीधे फोन यूज करने वालों पर भी लगता है. ट्राई की तरफ से चार्ज लगाने के तरीकों के बारे में भी बताया गया. ट्राई के अनुसार, सरकार मोबाइल कंपनियों से तीन तरीकों से शुल्क ले सकती है. पहला हर एक फोन नंबर के लिए एक ही बार चार्ज ले लिया जाए. दूसरा तरीका यह हो सकता है कि हर साल टेलीकॉम कंपनियों को दिए गए सभी नंबरों पर लगने वाली फीस. तीसरे तरीके में कुछ खास और याद रखने में आसान नंबर के लिए सरकार ऑक्शन प्रोसेस रख सकती है.