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पश्चिम बंगाल

Train Accident: क्या है कवच? कैसे काम करता है यह सिस्टम; बंगाल में हादसे वाली जगह पर लगा होता तो नहीं जाती इतनी जानें

What Is Kavach System? कवच एक ऐसा स्वदेशी सिस्टम है, जिसे रेल हादसे रोकने के लिए तैयार किया गया है. कवच सिस्टम को अभी रेल नेटवर्क के अधिकांश हिस्सों में स्थापित किया जाना बाकी है.

What Is Kavach? पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में सोमवार सुबह मालगाड़ी और कंजनजंगा एक्सप्रेस (Kanchanjunga Express) की भीषण टक्कर में 15 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए. बताया जा रहा है कि पटरी पर खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस को मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी. टक्कर इतनी भयानक थी एक ट्रेन की एक बोगी तो हवा में लटक गई. हादसे के बाद रेलवे के कवच सिस्टम की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है. कवच सिस्टम एक ही लाइन पर दो ट्रेनों के चलने पर दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करता है. इस प्रणाली को भारत में ही विकसित किया गया है.

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दार्जिलिंग की पटरियों पर नहीं था कवच सिस्टम

अब ऐसी खबर है कि भारत में निर्मित कवच सिस्टम दार्जिलिंग की पटरियों पर उपलब्ध नहीं थी, जहां आज दो ट्रेनें आपस में टकरा गईं. दुर्घटना के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उन्हें कवच सिस्टम के बारे में बात करते हुए सुना जा सकता है. वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारियों ने कहा कि इस प्रणाली को अभी भी रेल नेटवर्क के अधिकांश हिस्सों में स्थापित किया जाना है.

1500 किलोमीटर से अधिक ट्रैक पर कवच

NDTV ने रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा के हवाले से बताया, ‘रेलवे अगले साल तक 6,000 किलोमीटर से अधिक पटरियों को कवर करने के अपने लक्ष्य के तहत दिल्ली-गुवाहाटी मार्ग पर सुरक्षा प्रणाली लगाने की योजना बना रहा है. बंगाल इस साल कवच द्वारा संरक्षित की जाने वाली 3,000 किलोमीटर पटरियों के दायरे में आता है. इस प्रणाली को दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर लागू किया जाएगा.’ फिलहाल कवच 1,500 किलोमीटर से अधिक ट्रैक पर मौजूद है. केंद्र ने 2022-23 के दौरान कवच के तहत 2,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क लाने की योजना बनाई थी और इसका लक्ष्य लगभग 34,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क को कवर करना है. भारतीय रेलवे प्रणाली 1 लाख किलोमीटर से अधिक लंबी है.

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कवच क्या है? (What Is Kavach System?)

कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन सुरक्षा सिस्टम (APS) है, जिसे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RSCO) ने तीन भारतीय फर्मों के साथ मिलकर स्वदेशी रूप से विकसित किया है. सुरक्षा प्रणाली ट्रेनों की गति को नियंत्रित करती है, लेकिन लोकोमोटिव ड्राइवरों को खतरे के संकेतों को मिस करने से बचाने और यह सुनिश्चित करने में भी मदद करती है कि ट्रेनें विशेष रूप से कम विजिबिलिटी की स्थिति में सुरक्षित रूप से चले.

कवच कैसे काम करता है? (How does Kavach System work?)

अगर ड्राइवर समय पर ब्रेक लगाने में असफल रहता है तो कवच स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है. साथ ही अगर कोई लोको पायलट यानी ट्रेन का ड्राइवर किसी सिग्नल को जंप करता है तो कवच सिस्टम खुद ही एक्टिव हो जाता है. कवच के एक्टिव होते ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचता है. इतना ही नहीं कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल भी ले लेता है. अगर कवच सिस्टम को यह पता चले की ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वह पहली ट्रेन के मूवमेंट को भी रोक देता है.

जब कवच सिस्टम एक्टिव होता है तो 5 किमी के भीतर सभी ट्रेनें बगल के ट्रैक पर ट्रेन को सुरक्षित रूप से गुजरने के लिए रुक जाती हैं. ऑन बोर्ड डिस्प्ले ऑफ सिग्नल एस्पेक्ट (OBDSA) खराब मौसम के कारण विजिबिलिटी कम होने पर भी लोको पायलटों को सिग्नल देखने में मदद करता है. आमतौर पर, लोको पायलटों को सिग्नल देखने के लिए खिड़की से बाहर देखना पड़ता है. सुरक्षा प्रणाली ‘लाल सिग्नल’ के निकट पहुंचने पर लोको पायलट को सिग्नल भेजती है और सिग्नल पार होने से रोकने के लिए आवश्यक होने पर ऑटोमेटिक ब्रेक लगाती है.

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साल 2022 में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद ही सुरक्षा प्रणाली का परीक्षण किया था. उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ‘रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा. कवच ने स्वचालित रूप से सामने वाले अन्य लोकोमोटिव से 380 मीटर पहले ही लोकोमोटिव को रोक दिया.’

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