कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना में ट्रेन ऑपरेटिंग टीम की लापरवाही और मालगाड़ी चालक दल की बड़ी चूक सामने आई है। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के चीफ सेफ्टी कमिश्नर अब आगे की जांच कर रहे हैं। पिछले तीन दिनों से संबंधित लोगों से पूछताछ की जा रही है। दुर्घटना में यात्री ट्रेन के गार्ड और मालगाड़ी के लोको पायलट समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी।
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जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी। बंगाल के दार्जिलिंग जिले में निजबाड़ी स्टेशन के आउटर पर खड़ी सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस को मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने की घटना में न्यू जलपाईगुड़ी रेल डिवीजन की ट्रेन ऑपरेटिंग टीम की लापरवाही और मालगाड़ी चालक दल की बड़ी चूक सामने आई है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंप दी गई है।
तीन दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए
पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के चीफ सेफ्टी कमिश्नर अब आगे की जांच कर रहे हैं। पिछले तीन दिनों से संबंधित लोगों से पूछताछ की जा रही है। दुर्घटना में यात्री ट्रेन के गार्ड और मालगाड़ी के लोको पायलट समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी जबकि तीन दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे। दुर्घटना के बाद ही रेलवे ने छह वरिष्ठ अधिकारियों की एक जांच टीम बना दी थी।
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जांच टीम के पांच सदस्यों ने मालगाड़ी के लोको पायलट पर सिग्नल तोड़ने के साथ गति सीमा के उल्लंघन का आरोप लगाया है। टीम के एक अन्य सदस्य ने नोट में लिखा है कि न्यू जलपाईगुड़ी रेल डिवीजन में आपरे¨टग विभाग की टीम पूरी तरह से लापरवाह रही। रंगापानी और चटेरहाट स्टेशन के बीच सुरक्षा के पर्याप्त उपाय नहीं किए गए।
इनकी रही बड़ी चूक
जांच टीम का मानना है कि मालगाड़ी चालक दल जिसमें लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड शामिल हैं, की बड़ी चूक है। सिग्नल को तो तोड़ा ही गया साथ ही ट्रेन की स्पीड भी निर्धारित गति से ज्यादा रही। जांच टीम में शामिल एनजेपी डिवीजन के मुख्य लोको इंस्पेक्टर (सीएलआइ) ने अपने नोट में कहा कि 17 जून 2024 को सुबह 5:50 बजे से आटोमेटिक और सेमी आटोमेटिक सिग्नल काम नहीं कर रहे थे। ऐसी स्थिति में पूरे सेक्शन को एब्सोल्यूट ब्लाक सिस्टम में बदलना चाहिए था।
इस सिस्टम के तहत एक समय में केवल एक ट्रेन की ही परिचालन की अनुमति होती है। ऐसा नहीं कर सामान्य सिग्नल सिस्टम को बहाल रखा गया और प्राधिकरण पत्र देकर ट्रेनों को आगे बढ़ने की अनुमति दे दी गई। जांच टीम को दो शव फंसे पड़े मिलेजांच अधिकारियों ने कहा है कि दुर्घटना में यात्री ट्रेन के पांच डिब्बे और मालगाड़ी के 11 वैगन प्रभावित हुए। एक जनरल कोच में दो शव फंसे हुए मिले। कोच को काटकर दोनों शवों को बाहर निकाला गया।
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जांच रिपोर्ट में यह उल्लेख नहीं है कि दुर्घटना के समय मालगाड़ी किस स्पीड से चल रही थी। लोको पायलट यूनियन ने रिपोर्ट को खारिज कियादूसरी ओर लोको पायलट यूनियन ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
सिर्फ चालक दल को दोषी ठहराया जाना गलत
भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आइआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि यह रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण और गलत है। ऐसा लगता है कि जांच अधिकारियों को प्रभावित किया गया है। इसमें सिग्नलिंग सिस्टम पर सवाल नहीं उठाकर सिर्फ चालक दल को दोषी ठहराया गया है। मालगाड़ी की ज्यादा स्पीड़ को लेकर पांधी ने कहा कि जांच टीम ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है। जांच टीम को यह बताना चाहिए कि मालगाड़ी के लिए पूर्ण ब्लाक प्रणाली क्यों सुनिश्चित नहीं की गई।