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मीट और कैंसर का कनेक्शन: क्या आपका पसंदीदा भोजन बन सकता है आपके लिए खतरा? एक्सपर्ट से जानें हकीकत

पेट का कैंसर दुनियाभर में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. इसे कोलोरेक्टल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी के विकास में खानपान की आदतों का अहम रोल होता है.

पेट का कैंसर दुनियाभर में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है. इसे कोलोरेक्टल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी के विकास में खानपान की आदतों का अहम रोल होता है. शोध बताते हैं कि रेड मीट (लाल मांस) और प्रोसेस्ड मीट (संसाधित मांस) का सेवन करने से पेट के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. रेड मीट में ताजा या फ्रोजन बीफ, पोर्क या लैम्ब शामिल हैं, जबकि प्रोसेस्ड मीट जैसे बेकन, हाम और सॉसेज को उनके शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए प्रिजर्वेटिव्स के साथ उपचारित किया जाता है.

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सीके बिड़ला अस्पताल में ऑन्कोलॉजी सर्विसेज, जीआई ऑन्कोलॉजी, जीआई और एचपीबी सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. नीरज गोयल ने बताया कि मांस के सेवन और पेट के कैंसर के खतरे के बीच लिंक मुख्य रूप से प्रोसेस्ड मीट में इस्तेमाल होने वाले केमिकल से जुड़ा हुआ है. नाइट्रेट और नाइट्राइट (जो सामान्यतः इस्तेमाल होने वाले प्रिजर्वेटिव्स हैं) शरीर के अंदर कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाले) कंपाउंड में बदल सकते हैं. जब ये कंपाउंड बड़ी आंत में पहुंचते हैं, तो वे सेल्स की परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे संभावित रूप से कैंसर हो सकता है. साथ ही, रेड मीट में पाए जाने वाला हीम आयरन भी हानिकारक उप-उत्पादों का निर्माण कर सकता है, जो आंतों के सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं.

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आंतों के सेल्स को लगातार होने वाला नुकसान जीनोम में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) को ट्रिगर कर सकता है, जिससे ऐसी घटनाओं का सिलसिला शुरू हो जाता है जो अंततः पेट के कैंसर का कारण बन सकता है. इस डैमेज के लिए जिम्मेदार कंपाउंड को हेट्रोसाइक्लिक अमाइंस और पॉलीसाइक्लिक अमाइंस के रूप में जाना जाता है, जो मीट के प्रोसेसिंग और पकाने के दौरान बनते हैं.

डॉ. नीरज ने आगे बताया कि इन खतरों को देखते हुए, मांस के सेवन को सीमित करना महत्वपूर्ण है, खासकर प्रोसेस्ड मीट का. विभिन्न देशों में स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देश प्रतिदिन 70 ग्राम से कम सेवन की सलाह देते हैं. अपने रिस्क को कम करने के लिए, निम्नलिखित स्ट्रैटेजी पर विचार करें:

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मांस की मात्रा कम करें: अपने भोजन में रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट की मात्रा कम करें.
वैकल्पिक प्रोटीन के साथ बदलें: दाल, फलियां और सफेद मांस, जैसे चिकन या मछली को अपनी डाइट में शामिल करें.
बैलेंस डाइट अपनाएं: सब्जियों, फलों और साबुत अनाज से भरपूर डाइट पर जोर दें, जो फाइबर में हाई होते हैं और पाचन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं.
शाकाहारी विकल्पों पर विचार करें: पौधों पर आधारित फूड पर जोर देने वाला शाकाहारी डाइट पेट के कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकता है.

इलाज से बेहतर बचाव है. अपनी डाइट में इन परिवर्तनों को अपनाने से पेट के कैंसर के खतरे को कम करने और समग्र रूप से बेहतर सेहत में योगदान मिल सकता है.

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