Breast Cancer se Jung: टीवी एक्ट्रेस हिना खान को ब्रेस्ट कैंसर की खबर के बाद News18hindi ब्रेस्ट कैंसर से जंग नाम से सीरीज शुरू कर रहा है. जिसमें देश के जाने-माने ऑन्कोलॉजिस्ट, कॉस्मेटिक सर्जन और हेल्थ एक्सपर्ट से ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जरूरी जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाएगी. पेश है सीरीज की पहली स्टोरी..
टीवी एक्ट्रेस हिना खान ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं. हाल ही में सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें तीसरी स्टेज का ब्रेस्ट कैंसर है. फिलहाल वे उससे हिम्मत से पॉजिटिविटी के साथ लड़ रही हैं और कीमोथेरेपी ले रही हैं. आपको बता दें कि हिना खान की तरह आजकल शहरों में हर 22 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही है. डॉक्टरों की मानें तो अगर ब्रेस्ट कैंसर के बारे में महिलाओं को पूरी जानकारी हो और वे थोड़ी सतर्कता बरतें तो इस बीमारी को समय रहते पकड़ा जा सकता है और इसका पूरी तरह सफल इलाज हो सकता है.
ऐसे में News18hindi ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरुक करने के लिए ‘ब्रेस्ट कैंसर से जंग सीरीज’ शुरू कर रहा है. इसमें हर दिन एक नई खबर के माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर को लेकर 360 डिग्री जानकारी मिलेगी जो इस बीमारी से लड़ने में मदद करेगी.
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30 से कम उम्र की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर
दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रमेश सरीन कहती हैं कि भारत में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. देश में 30 साल के आसपास भी इस बीमारी के मामले अब बढ़ने लगे हैं. वहीं करीब 5 फीसदी के आसपास 30 साल से कम उम्र की महिलाएं भी हैं जो इस कैंसर की चपेट में आ रही हैं. जबकि कुछ साल पहले तक 50 साल से ऊपर की महिलाओं को ही स्तन कैंसर अपना शिकार बनाता था. आंकड़े बताते हैं कि देश में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित होने वाली ग्रामीण महिलाओं (Rural Women) की अपेक्षा शहरी महिलाओं (Urban Women) की संख्या काफी ज्यादा है.
22 में से एक महिला को कैंसर
डॉ. सरीन कहती हैं कि भारत सरकार के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में 712,758 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी डायग्नोस की गई. इस हिसाब से प्रति 29 महिलाओं में से एक महिला स्तन कैंसर से जूझ रही है. जहां ग्रामीण महिलाओं में 60 में से एक महिला को ये बीमारी है. वहीं 22 में से एक शहरी महिला को ब्रेस्ट कैंसर की समस्या है. वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट बताती हैं कि 2016 में कैंसर के 14.5 लाख नए मामले सामने आए थे जो 2020 में बढ़कर 17.3 लाख हो गए. वहीं एनसीआरपी (NCRP) के मुताकुल कैंसर मरीजों में करीब 57 फीसदी मामले ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों के हैं. लिहाजा आंकड़े काफी चिंताजनक हैं.
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ऐसे पहचानें ब्रेस्ट कैंसर
डॉ. सरीन कहती हैं कि अगर ब्रेस्ट में कोई गांठ या मस्सा हो, इसके आकार में बदलाव होने लगे, सूजन के साथ दबाने पर दर्द हो, त्वचा का रंग लाल होने लगे, निपल में से खून आ रहा हो, निप्पल सिकुड़ने लगे, त्चचा में जलन या डिंपलिंग होने लगे तो यह ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है. ऐसा होने पर तुरंत सतर्क हो जाएं और डॉक्टर को दिखाएं.
ब्रेस्ट नहीं अंडरआर्म की गांठ भी कैंसर का लक्षण
वहीं अगर किसी महिला के अंडरआर्म या बगल में गांठ (Cyst in Underarm) हो तो वह भी स्तन या ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण (Symptoms of Breast Cancer) हो सकता है. महिलाओं को चाहिए कि वे समय-समय पर अपने स्तनों के साथ अपने अंडरआर्म में भी इस तरह की गांठ या दर्द तो नहीं है, इसकी जांच खुद करती रहें.
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ब्रेस्ट कैंसर क्यों बढ़ रहा है?
. डॉ सरीन बताती हैं कि देश के बड़े और मेट्रो शहरों में महिलाएं सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. इन बड़े शहरों में तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और बढ़ती आधुनिक सुख-सुविधाओं से यहां की आबोहवा खराब हो रही है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि देश के कुछ मेट्रो शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू, भोपाल, कोलकाता चेन्नई और अहमदाबाद में लगातार ऐसी महिलाएं सामने आ रही हैं जिन्हें स्तन कैंसर की शिकायत है. डॉ. कहती हैं कि इन शहरों में मामले सामने आने के पीछे महिलाओं का ज्यादा जागरुक होना भी है लेकिन मामले बढ़ रहे हैं तो यह तय है कि बीमारी बढ़ रही है. इसके अलावा भी कुछ प्रमुख कारण हैं.
भागदौड़ और देरी से बच्चे पैदा होना
भागदौड़ और तनाव भरी जीवनशैली, शारीरिक कसरत या व्यायाम की कमी, प्रदूषित खानपान और पोषणयुक्त भोजन की कमी के कारण भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.
इसके साथ ही महिलाओं की शादीशुदा जिंदगी का देर से शुरू होना, देरी से बच्चों का होना या संतान का न होना, ग्रामीण के मुकाबले शहरी महिलाओं का जल्दी परिपक्व होना और मासिक चक्र का जल्दी शुरू हो जाना, हार्मोनल असंतुलन भी इसके जिम्मेदार हैं.
जानकारी का अभाव और अनदेखी
कुछ मामलों में अनदेखी या लापरवाही के कारण भी गंभीरता आ जाती है. अगर शुरुआत में ही बीमारी का पता चल जाए तो हालात खराब नहीं होते लेकिन महिलाओं की अपनी बीमारी के प्रति झेलने और लापरवाही का रवैया होने के चलते ज्यादा नुकसान हो रहा है.
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