Reliance Jio Valuation: ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की रिपोर्ट में दावा किया गया कि रिलायंस जियो के आईपीओ की शेयर बाजार में 2025 में लिस्टिंग हो सकती है. अभी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 21 लाख करोड़ रुपये के पार है.
Reliance Jio IPO: मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) देश और दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनियों में से एक है. कंपनी का मार्केट कैप 21 लाख करोड़ के पार है. रिलायंस इंडस्ट्रीज का कारोबारी साम्राज्य लगातार बढ़ रहा है. कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि रिलायंस रिटेल की तरफ से डेकाथलॉन जैसा ब्रांड शुरू करने का प्लान किया जा रहा है. अब खबर है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो (Reliance Jio) का साल 2025 में बड़ा आईपीओ (IPO) जारी हो सकता है.
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आरआईएल के शेयर में 7-15% की बढ़ोतरी संभव
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का कहना है कि इस लिस्टिंग का वैल्यूएशन करीब 9.3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है. अनुमान जताया गया कि जियो की लिस्टिंग 112 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन पर हो सकती है. इसका असर रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर पर भी दिखाई दे सकता है. आने वाले समय में इसमें 7-15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी संभव है. पिछले दिनों जियो ने सबसे पहले टैरिफ प्लान की कीमत में इजाफा किया है. लेकिन कंपनी की तरफ से फीचर फोन वालों के लिए रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया. इससे साफ है जियो ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने और बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस कर रहा है.
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बाजार में दस्तक देने के दो तरीके
रिलायंस जियो (Reliance Jio) के शेयर बाजार में दस्तक देने के दो तरीके हो सकते हैं. पहला यह IPO का है या दूसरा यह भी हो सकता है जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (JFS) की तरह स्पिन-ऑफ किया जाए. जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस जियो (Reliance Jio) को दो मुख्य चिंताएं हैं. पहली देश में होल्डिंग कंपनी (Holdco) को मिलने वाली छूट आमतौर पर 20-50% के बीच होती है. लेकिन कोरिया और ताइवान जैसी जगह पर यह छूट 50-70% तक जा सकती है. रिलायंस जियो को इस बात की चिंता है कि उन्हें भारत में कम छूट मिलेगी.
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आम निवेशकों को शेयर बेचने में दिक्कत आ सकती है
कंपनी की दूसरी चिंता इस बात को लेकर है कि IPO में आम निवेशकों को शेयर बेचने में दिक्कत आ सकती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि स्पिन-ऑफ में जियो की नियंत्रण वाली हिस्सेदारी कम हो सकती है. लेकिन इसका सॉल्यूशन यह हो सकता है कि बाद में जियो प्राइवेट इक्विटी फंड्स द्वारा बेचे जा रहे कुछ शेयर खरीद लें. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि स्पिन-ऑफ का रास्ता चुनने से होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट से बचा जा सकता है और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के शेयरहोल्डर को ज्यादा फायदा हो सकता है.
जियो में हिस्सेदारी कम होकर 33.3% हो जाएगी
यदि जियो को स्पिन-ऑफ किया जाता है तो रिलायंस की जियो में हिस्सेदारी कम होकर 33.3% हो जाएगी. गौरतलब है कि हाल ही में स्पिन-ऑफ हुई जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (JFS) में रिलायंस की हिस्सेदारी 45.8% थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि स्पिन-ऑफ के बाद RIL और JFS के शेयरों के अच्छे प्रदर्शन और JFS में रिलायंस की कम हिस्सेदारी को देखते हुए, जियो के लिए भी रिलायंस स्पिन-ऑफ का ही रास्ता चुन सकती है.