दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को जनवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन बार-बार टाइम लाइन बढ़ती गई. इस रोड प्रोजेक्ट की रिवाइज्ड डेडलाइन मार्च 2024 दी थी जो कि निकल चुकी है. अब यह टाइम लाइन सवा साल और बढ़ गई है.
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Delhi-Mumbai Expressway: कार से 12 से 13 घंटे में दिल्ली से मुंबई जाने के सपने को साकार होने में और वक्त लग सकता है. क्योंकि, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के निर्माण के पूरा होने की तारीख फिर बढ़ सकती है. मोदी सरकार के इस अहम रोड प्रोजेक्ट के अब अगले साल के आखिरी तक पूरी तरह से चालू होने की संभावना है. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि गुजरात में जमीन अधिग्रहण से संबंधित समस्या के कारण इस रोड परियोजना में देरी हुई है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को जनवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन समय-समय पर टाइम लाइन बढ़ाई गई. इस रोड प्रोजेक्ट की रिवाइज्ड डेडलाइन मार्च 2024 दी थी जो कि निकल चुकी है. अब यह टाइम लाइन सवा साल और बढ़ गई है.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है. 1,386 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे से 12 से 13 घंटे में दिल्ली से मुंबई पहुंचा जा सकेगा. फिलहाल, यह ट्रैवल टाइम 24 घंटे है. ऐसे में इस एक्सप्रेसवे के तैयार होने से सीधे 12 घंटे की बचत होगी. 1,386 किलोमीटर लंबे इस रोड प्रोजेक्ट में से लगभग 630 किलोमीटर हिस्से को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है.
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गुजरात में अटका एक्सप्रेसवे का काम
गुजरात में 62 किलोमीटर के दो ‘पैकेजों’ पर काम में अड़चन आई है. दरअसल नवंबर 2023 में ही इन पैकेज के लिए बोली लगा दी गई थी. एक पैकेज पर इस साल अप्रैल में काम शुरू हुआ था, जबकि दूसरे हिस्से पर निर्माण कार्य इस महीने शुरू हुआ है. सूत्रों ने कहा कि किसी भी हिस्से को बनाने में कम से कम डेढ़ साल का समय लगता है. अधिकारियों ने कहा कि जमीन की उपलब्धता से जुड़े सभी शेष मुद्दों को सुलझाया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि सोहना से वडोदरा (845 किमी) तक देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे का पहला सेक्शन मार्च 2025 तक यातायात के लिए पूरी तरह से खोल दिया जाएगा.
इसके बाद, मुंबई में जेएनपीटी के तीन लिंक, उत्तर प्रदेश में जेवर हवाई अड्डे और दिल्ली में डीएनडी फ्लाईवे सहित अन्य सेक्शन को ट्रैफिक के लिए ओपन किया जाएगा. एनएचएआई के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, “किसी भी रोड प्रोजेक्ट के पूरा होने में जमीन की कमी सबसे बड़ी बाधा है. संबंधित राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है. खासकर, जब हम ग्रीनफील्ड या नए हाईवे और एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रहे हैं.”
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और सवा साल का इंतजार
पिछले साल रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे मिनिस्ट्री ने राज्यसभा में सौंपे एक लिखित जवाब में कहा था कि एनएचएआई ने गुजरात के वलसाड जिले में एक्सप्रेसवे कॉरिडोर के 35 किलोमीटर लंबे हिस्से के निर्माण का काम सौंपा था, जिसकी लागत रु. 3,633 करोड़ रुपये और नवसारी जिले में 27 किमी हिस्से की लागत 2,287 करोड़ रुपये है. हालांकि, दोनों पर निर्माण शुरू नहीं हुआ था.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे देश के 5 बड़े राज्यों (हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र) से होकर गुजरता है. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पड़ने वाले सभी सेक्शन पर लगभग काम पूरा हो चुका है लेकिन गुजरात में निर्माण कार्य की प्रगति बेहद धीमी है. अधिकारियों ने कहा, अब चूंकि सभी पैकेजों में काम शुरू हो गया है, इसलिए उन्हें पूरा भरोसा है कि अगले साल अक्टूबर तक पूरा एक्सप्रेसवे चालू हो जाएगा.