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इस सरकारी बैंक को प्राइवेट हाथों में सौंपने का रास्ता साफ, RBI को भी नहीं कोई आपत्ति, दौड़ पड़ा शेयर

IDBI Bank Privatisation News- आरबीआई से फिट एंड प्रॉपर रिपोर्ट मिलने के बाद अब सबकी नजर वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 23 मई को पेश किए जाने वाले बजट पर टिक गई है.

नई दिल्ली. आईडीबीआई बैंक के निजीकरण (IDBI Bank Privatisation) का रास्‍ता अब लगभग साफ हो गया है. भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के लिए बोली लगाने वाले निवेशकों की जांच-पड़ताल कर ‘फिट एंड प्रॉपर’ रिपोर्ट दे दी है. नरेंद्र मोदी सरकार ने मई 2021 में इस बैंक में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू की थी. तब से केंद्र सरकार आरबीआई से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रही है. केंद्रीय बैंक यह आकलन करता है कि बोली लगाने वाले लोग उचित और उपयुक्त मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं. यह भी जांचा जाता है कि बोली लगाने वाले लोग नियमों का अनुपालन करते हैं या नहीं और वे अन्य नियामकों की निगरानी में तो नहीं हैं.

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आरबीआई से फिट एंड प्रॉपर रिपोर्ट मिलने के बाद अब सबकी नजर वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 23 मई को पेश किए जाने वाले बजट पर टिक गई है. बाजार को इस बात का इंतजार है कि विनिवेश पर बजट में सरकार की तरफ से क्या संकेत मिलता है. आरबीआई द्वारा बोलीदाताओं को ग्रीन सिग्‍नल देने की खबर आते ही आज आईडीबीआई बैंक का शेयर 6 फीसदी तक उछल गया. सुबह 11 बजे एनएसई पर आईडीबीआई बैंक शेयर 5.60 फीसदी की तेजी के साथ 92.80 रुपये पर कारोबार कर रहा था.

विदेशी बोलीदाता पर नहीं दी रिपोर्ट
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, RBI ने एक विदेशी बोलीदाता को छोड़कर बाकी सभी पर अपनी रिपोर्ट दी है. इस विदेशी बोलीदाता ने अपनी जानकारी साझा नहीं की और न ही विदेशी रेगुलेटर ने उसके बारे में डेटा उपलब्ध नहीं कराया है.

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सरकार के पास 45.5 फीसदी हिस्‍सेदारी
केंद्र सरकार के पास आईडीबीआई बैंक में 45.5% हिस्सेदारी है. वहीं, एलआईसी के पास 49% से अधिक हिस्सेदारी है. आईडीबीआई पहले फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट था जो बाद में बैंक बन गया. सरकार की विनिवेश योजना के मुताबिक सरकार बैंक में 60.7% हिस्सेदारी बेच सकती है. इसमें सरकार का 30.5% और LIC का 30.2% हिस्सा शामिल है.

सरकार को 29,000 करोड़ मिलने की उम्‍मीद
आईडीबीआई का मार्केट कैप अभी करीब 99.78 हजार करोड़ है. हिस्सेदारी बेचने पर वर्तमान बाजार मूल्‍यांकन के हिसाब से सरकार को 29,000 करोड़ रुपये से ज्‍यादा मिल सकते हैं. सरकार ने बीपीसीएल, कॉनकॉर, बीईएमएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन, आईडीबीआई बैंक और एक बीमा कंपनी के विनिवेश की योजना बनाई थी. लेकिन पिछले 18 महीनों से इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. बीपीसीएल का विनिवेश तो सरकार ने टाल ही दिया है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने हाल ही में इस बात की पुष्टि भी की थी.

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विनिवेश पर सरकार का रुख
सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बार-बार उन क्षेत्रों से बाहर निकलने की बात कही है जो ‘नॉन-स्ट्रैटजिक’ हैं. लेकिन अब तक केवल एयर इंडिया का विनिवेश किया जा सका है. मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. उनका कहना है कि यह एक प्राइवेट एंटिटी है. इसमें सरकार की हिस्सेदारी बढ़ने की वजह यह है कि कर्ज के कारण हुए भारी घाटे से उबारने के लिए सरकार को इसमें पूंजी डालनी पड़ रही है.

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