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Sawan 2024: कैलाश पर निवास से लेकर नंदी की सवारी तक भगवान शिव से जुड़ी ये चीजें देती हैं खास संकेत

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महादेव हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवों में से एक हैं। उन्हें महादेव से लेकर भोले शंकर आदि कई नामों से जाना जाता है। उनका प्रत्येक नाम उनके एक खास गुण को प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार शिव जी से जुड़े संकेत जैसे उनका कैलाश पर निवास या फिर नंदी की सवारी करना आदि भी मानव मात्र के लिए एक खास संदेश है।

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शिव भक्त सावन माह का बेसब्री से इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे सावन भगवान शिव की आराधना करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। भगवान शिव का रूप अन्य देवताओं में सबसे निराला है। बाघ की छाल पर विराजमान होते हैं, उन्हें भाग और धतूरे जैसी चीजें अर्पित की जाती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि शिव जी से जुड़ी ये सभी चीजें क्या संदेश देती हैं।

कैलाश पर निवास करना

जहां अन्य देवी-देवता स्वर्ग लोक में निवास करते हैं, वहीं कैलाश पर्वत को भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान माना गया है, जो प्रकृति के प्रति भगवान शिव के प्रेम को दर्शाता है। इससे हर मनुष्य को यह सीख लेनी चाहिए की प्रकृति हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है और इसके बिना जीवन असंभव है।

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किसका प्रतीक हैं नंदी

शिव जी नंदी की सवारी करते हैं। हिंदू धर्म में नंदी को धर्म, ज्ञान, शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक माना गया है। इससे गोवंश की रक्षा और सेवा का संदेश तो मिलता ही है। साथ ही नंदी से हम यह भी शिक्षा ले सकते हैं कि अपने आराध्य के प्रति हमेशा सच्ची भक्ति रखनी चाहिए, क्योंकि सच्ची भक्ति के दम पर ही आम व्यक्ति भी खास बन जाता है।

शिव जी पर चढ़ने वाली चीजों का अर्थ
शिव जी की पूजा के दौरान उन्हें बेल, धतूरा आक के फूल आदि चढ़ाए जाते हैं। भांग और धतूरा की प्रकृति कड़वी या फिर जहरीली होती है।  ऐसे में इससे यह संदेश मिलता है कि हम अपने अंदर की सभी बुराईयों और कड़वाहट का त्याग कर रहे हैं। ऐसे में भगवान को यह चीजें अर्पित कर हम स्वयं को निर्मल करने का संकल्प लेते हैं।

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इसलिए कहलाते हैं बाघम्बर

भगवान शिव का एक नाम बाघम्बर भी है, क्योंकि वह मृत बाघ की छाल के आसन पर विराजमान रहते हैं। यहां बाघ की छाल को व्यक्ति के अहंकार से जोड़कर देखा गया है। ऐसे में शिव जी का बाघ की छाल पर बैठना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति को कभी भी अपनी शक्तियों या ज्ञान पर अहंकार नहीं करना चाहिए। या इस संकेत को इस तरह भी देखा जा सकता है कि जो भी अहंकार का त्याग देता है, उसे भगवान शिव की शरण प्राप्त होती है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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