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जानें टैक्स डिडक्शन और टैक्स एग्जेंप्शन का मतलब , क्या है इनके बीच अंतर? जानें सब कुछ

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Tax Deductions vs. Exemptions: अगर आपने कोई होम लोन लिया है, तो सेक्शन 24(b) के तहत आप इस लोन के लिए किए जाने वाले ब्याज के भुगतान पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.

नई दिल्ली:इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing 2024) करते समय या टैक्स सेविंग के साधन में निवेश करते समय टैक्स एग्जेंप्शन  (Tax Exemption) और टैक्स डिडक्शन  (Tax Deduction)का जिक्र आते आपने कई बार देखा होगा. टैक्स एग्जेंप्शन का मतलब होता है टैक्स से छूट और टैक्स डिडक्शन का मतलब टैक्स में कटौती. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों में क्या अंतर होता है? आज हम यह बताने जा रहे हैं…

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टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction)

टैक्स डिडक्शन यानी, ऐसे निवेश या खर्च जिन्हें आप कुल इनकम में से घटाकर अपनी टैक्सेबल इनकम (taxable income) को कम कर सकते हैं. टैक्स डिडक्शन का फायदा आप इनकम टैक्स एक्ट के कई अलग-अलग सेक्शन के तहत उठा सकते है.

सेक्शन 80C के तहत निवेश और खर्चों पर कटौती का फायदा

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 का सेक्शन 80C टैक्स बचाने का काफी अच्छा तरीका है. इसका फायदा कई तरह के निवेश और खर्चों में कटौती के लिए उठाया जा करता है, जिससे आप अपनी टैक्सेबल इनकम को कम करके अपनी टैक्स लायबिलिटी को कम कर सकते हैं. सेक्शन 80C का फायदा एम्प्लाइज प्रॉविडेंट फंड (EPF), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) और जीवन बीमा के प्रीमियम जैसे कई तरह के निवेश पर उठाया जा सकता है. इस सेक्शन के तहत एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. यानी डेढ़ लाख तक के निवेश पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.

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होम लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम

अगर आपने कोई होम लोन लिया है, तो सेक्शन 24(b) के तहत आप इस लोन के लिए किए जाने वाले ब्याज के भुगतान पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. एक साल में 2 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.

मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेम

अगर आपने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए कोई हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिकल इंश्योरेंस लिया है, तो उसके प्रीमियम के भुगतान की रकम पर भी सेक्शन 80D के तहत डिडक्शन का फायदा उठाया जा सकता है. इस सेक्शन के तहत एक फाइनेंसियल ईयर के दौरान कितना डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है, यह उन लोगों की उम्र और कवरेज पर निर्भर करता है, जिनका हेल्थ इंश्योरेंस कराया गया है.

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सेक्शन 80 के इन सब-सेक्शन के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.

1. सेक्शन 80C के तहत कई तरह के निवेश पर
2. सेक्शन 80CCC के तहत इंश्योरेंस के प्रीमियम पर
3. सेक्शन 80CCD के तहत पेंशन कंट्रीब्यूशन पर
4. सेक्शन 80TTA के तहत सेविंग्स अकाउंट के इंटरेस्ट यानी ब्याज पर
5. सेक्शन 80GG के तहत हाउस रेंट यानी घर के किराए पर, ऐसे लोग टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकते है, जिन्हें कंपनी की तरफ से HRA नहीं मिलता.
6. सेक्शन 80E के तहत एजुकेशन लोन के इंटरेस्ट पर
7. सेक्शन 80EE के तहत होम लोन के इंटरेस्ट पर
8. सेक्शन 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस पर  

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टैक्स एग्जेंप्शन (Tax Exemption)

टैक्स एग्जेंप्शन का मतलब ऐसी आमदनी से है, जिसे इनकम टैक्स के लिहाज से आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा नहीं जाता. यानी यह आमदनी आपकी टैक्सेबल इनकम से बाहर रहती है. आसान भाषा में समझें तो टैक्स डिडक्शन में जहां किसी निवेश या खर्च के आधार पर क्लेम की गई रकम को आपकी टैक्सेबल इनकम से घटा दिया जाता है, वहीं एग्जेंप्शन के तहत आने वाली आमदनी को आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा ही नहीं जाता है. जैसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG), रिश्तेदारों से मिली गिफ्ट और खेती से होने वाली आमदनी.

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