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लिवर कैंसर का रिस्क घटा सकती हैं कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली नॉन-स्टैटिन मेडिसिन: रिसर्च में दावा

लिवर कैंसर भारत समेत कई देशों में लोगों की जान ले लेता है, ऐसे में अमेरिका में एक रिसर्च से मरीजों की उम्मीदें जरूर जगेंगी और इस कैंसर का रिस्क कम किया जा सकेगा.

Liver Cancer Risk: लिवर कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी है. अगर हम वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़े देखें तो ये साउथ ईस्ट एशिया के पुरुषों में कैंसर से होने वाली मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण है. तकरीबन 75 फीसदी लिवर सिरोसिस हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन के कारण होता है. हालांकि एक नए रिसर्च में ये दावा किया गया है कि कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली कुछ नॉन-स्टैटिन दवाएं लिवर कैंसर का खतरा घटा सकती हैं.

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‘लिवर कैंसर का रिस्क घटेगा’

‘कैंसर’ नामक मैगजीन में ऑनलाइन छपी एक रिसर्स में स्टैटिन पर पिछली स्टडी से मिले सबूत के अलावा इन दवाओं के पोटेंशियल प्रोटेक्टिव इफेक्ट के बारे में बताया गया है. अमेरिका के मैरीलैंड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (Maryland National Institute of Health) के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (National Cancer Institute) द्वारा किए गए रिसर्च में 5 तरह की नॉन-स्टैटिन कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं (Non-statin Cholesterol Lowering Drugs) पर फोकस किया गया है, जिनमें फाइब्रेट्स, नियासिन और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल हैं. ये सभी दवाएं आम तौर पर कोलेस्ट्रॉल और लिपिड के स्तर को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. ये सभी शरीर में अलग-अलग तरीके से काम करती हैं.

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कैसे हुई रिसर्च?

रिसर्चर्स ने 3,719 लिवर कैंसर के मामलों और 14,876 कैंसर रहित मामलों को रिसर्च में शामिल किया. स्टडी में टाइप 2 डायबिटीज के साथ क्रॉनिक लिवर डिजीज को भी शामिल किया गया है. रिजल्ट्स से पता चला कि कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं से लिवर कैंसर का रिस्क 31 फीसदी कम हुआ.  इसके अलावा, डायबिटीज और लिवर की बीमारी पर भी इसके जैसे असर दिखाई दिए.

पिछले नतीजों की तरह इस रिसर्च में पुष्टि हुई कि स्टैटिन से लिवर कैंसर का जोखिम 35 फीसदी कम हुआ है. हालांकि, लिवर कैंसर के रिस्क और फाइब्रेट्स (Fibrates), ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3 Fatty Acids) या नियासिन (Niacin) के इस्तेमाल के बीच कोई अहम कनेक्शन नहीं पाया गया.

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और रिसर्च की है जरूरत

पूरे रिसर्च में बाइल एसिड सेक्वेस्ट्रेंट (Bile Acid Sequestrant) का उपयोग लीवर कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा था, हालांकि डायबिटीज और लिवर डिजीज स्टेटस के आंकड़ों को अलग करने से डेटा से किसी पुख्ता नतीजे पर पहुंचना मुमकिन नहीं था.  रिसर्चर्स ने इस रिसर्च के बाद संभावित जोखिमों को जानने के लिए आगे की स्टडीज की जरूरत पर जोर दिया

ये रिसर्च कोलेस्ट्रॉल कम करने और लिवर कैंसर की रोकथाम के लिए दिए उपायों में एक नया आयाम जोड़ता है, जो इस फील्स में लगातार रिसर्च की जरूरत को बताता है. रिसर्चर्स ने कहा है कि कुछ स्टडीज में लिवर कैंसर के खतरे पर कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली नॉन-स्टैटिन दवाओं के असर की जांच की है, इसलिए उनकी स्टडीज के रिजल्ट को अन्य आबादी में दोहराने की जरूरत है. नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (National Cancer Institute) के डॉ. मैकग्लिन (Dr. McGlynn) ने कहा, “अगर दूसरी स्टडीज में हमारे फाइंडिंग्स की पुष्टि हो जाती है, तो हमारे रिजल्ट लिवर कैंसर की रोकथाम अनुसंधान को सूचित कर सकते हैं.”

(इनपुट-आईएएनएस)

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