हरियाली तीज का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह 7 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है इस व्रत को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही शिव-पार्वती का आशीर्वाद मिलता है।
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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हरियाली तीज सभी विवाहित महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक माना जाता है। यह त्यौहार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन का उपवास रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
साथ ही जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है। वहीं, ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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हरियाली तीज पर महिलाएं इन बातों का रखें ख्याल
- महिलाओं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र स्नान करें।
- सभी पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पूजा कक्ष को साफ करें।
- व्रत शुरू करने से पहले एक संकल्प लें।
- व्रत के दिन दोपहर के समय न सोएं, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
- महिलाएं लाल या हरे रंग के वस्त्र धारण करें, विशेष रूप से नवविवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करें।
- हरियाली तीज से एक दिन पहले अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाएं।
- इस दिन महिलाएं काले, सफेद, क्रीम और नीले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
- महिलाएं सात्विक जीवन शैली का पालन करें और तामसिक चीजों से दूर रहें।
- इस शुभ दिन पर किसी से बहस या अपमान न करें।
- इस दिन सकारात्मक चीजों पर ध्यान दें और अपना दिन मंत्र जाप या शुभ भजन गाते हुए बिताएं।
- गर्भवती महिलाएं व्रत छोड़ सकती हैं, लेकिन अगर वे वास्तव में व्रत रखना चाहती हैं, तो उन्हें नारियल पानी और ताजा जूस लेकर दिन के दौरान हाइड्रेटेड रहना चाहिए।
- महिलाओं को सात्विक भोग प्रसाद बनाना चाहिए
- व्रत पूर्ण होने के बाद अपनी सास को मिठाई और दक्षिणा दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।