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Hariyali Amavasya 2024: इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानें हरियाली अमावस्या का महत्व और खास नियम

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Hariyali Amavasya 2024 Puja Vidhi : हरियाली अमावस्या का विशेष स्थान और महत्व है. इस दिन शिवशक्ति की आराधना की जाती है. वहीं अमावस्या के दिन पितरों को श्राद्ध देने की परंपरा भी है. आइए जानते हैं आज किस मुहूर्त पर हरियाली अमावस्या की पूजा करनी होगी.

Hariyali Amavasya 2024 Puja Vidhi : आधा सावन बीतने को है और इसी के साथ आज मनाई जा रही अमावस्या तिथि, जो कि बहुत ही खास मानी जाती है. श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. जिससे मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं. स्नान के बाद दान का भी बड़ा महत्व है, जिससे आपको पुण्यफल की प्राप्ति होती है. इस बार हरियाली अमावस्या आज यानी 4 अगस्त, रविवार को मनाई जा रही है. आइए जानते हैं इसका महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

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तिथि और स्नानदान मुहूर्त
अमावस्या तिथि का आरंभ 3 अगस्त 2024 की दोपहर 03 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर 4 अगस्त की शाम 4 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. वहीं, स्नानदान के लिए मुहूर्त सुबह 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 02 मिनट तक है.

हरियाली अमावस्या का महत्व
अमावस्या तिथि को पिंडदान के लिए विशेष माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस​ दिन पितृों को श्राद्ध देता है उसे पितृदोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.

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इस विधि से करें पूजा
– पूजा के लिए एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.
– अब इस पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें.
– चौकी को फूलों और पत्तों से अच्छे से सजा लें.
– अब शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और पंचामृत चढ़ाएं साथ में बेलपत्र, धतूरा के फूल, भांग, इत्र और चंदन चढ़ाएं और शिव जी को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें.
– इसके बाद दीपक जलाएं और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें.
– पूजा के आखिरी में शिवजी की आरती करें और इस दिन शिव चालीसा पढ़ें.

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इन नियमों का पालन करें
– इस दिन सुबह ब्रम्हा मुहूर्त में गंगा स्नान करें.
– यदि आप गंगा या पवित्र नदी तक नहीं जा सकते तो कुछ गंगा जल की बूदें स्नान के पानी में मिला लें.
– घर और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें.
– पितरों को श्राद्ध दें, लेकिन ध्यान रखें पितरों को जल और तिल चढ़ाते समय उनका नाम लेकर स्मरण जरूर करें.
– श्राद्ध देने के बाद गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि दान करें.

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