Google illegal monopoly on search: अमेरिकी कोर्ट ने गूगल के सर्चिंग के कामकाज को गलत करार दिया है। साथ ही गूगल सर्च को डिफाल्ट तौर पर देने का विरोध किया है। कोर्ट के इस फैसले से गूगल के कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है। क्योंकि गूगल की कमाई में सर्चिंग का बड़ा हिस्सा है।
गूगल सर्चिंग की दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी है। पूरी दुनिया में सर्चिंग के लिए गूगल का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि अब गूगल को यूएस कोर्ट से जोरदार झटका लगा है। कोर्ट ने गूगल के इंटरनेट सर्चिंग पर अवैध कब्जे को गलत करार दिया है। कोर्ट ने गूगल के इस कदम को एंटीट्रस्ट लॉ का उल्लंघन बताया है। कोर्ट की इस फैसले से गूगल को जोरदार झटका लग सकता है। साथ ही गगूल की इंटरनेट जगत में पकड़ कमजोर हो सकती है।
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गूगल के कामकाज को कोर्ट ने ठहराया गलत
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गूगल ने अपने दबदबे को बनाए रखने के लिए कानून का उल्लंघन किया है। कंपनी ने गूगल को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाए रखने के लिए अरबों रुपये खर्च कर दिए हैं। साथ ही गलत प्रैक्टिस को अपनाया है, जो कारोबारी नियमों के खिलाफ हैं। कोर्ट का कहना है कि गूगल ने अपने मुकाबले में किसी को खड़ा नहीं रहने दिया है। ऐसे में सर्च की दुनिया में नए इनोवेशन को रफ्तार नहीं मिल सकी है। गूगल सर्च के विज्ञापन से कंपनी को बड़ा फायदा होता है। साल 2023 में गूगल की ओनर कंपनी अल्फाबेट के कुल विज्ञापन में गूगल की हिस्सेदारी 77 फीसद थी।
सर्च मार्केट में गूगल का कब्जा
गूगल के दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गूगल की सर्च मार्केट में कुल हिस्सेदारी करीब 90 फीसद है। वही जब बात स्मार्टफोन की होती है, तो स्मार्टफोन में 95 फीसद सर्च मार्केट में गूगल हिस्सेदारी रखता है। कोर्ट ने कहा कि गूगल ने अपने सर्च मार्केट को बचाए रखने के लिए साल 2021 में 26.3 बिलियन डॉलर खर्च किए थे। गूगल कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ऊपरी कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकता है।
गूगल और ऐपल की टक्कर
ऐपल और गूगल के बीच भी सर्चिंग को लेकर टकराव के हालात बन चुके हैं। दरअसल गूगल के सर्च इंजन के खिलाफ ऐपल खुद की सफारी प्लेटफॉर्म को ज्यादा बेहतर और सिक्योर बताता है। गूगल की हिस्सेदारी सर्च तक सीमित नहीं है। गूगल के पास अपना खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉइड है, जिसे पर आईफोन के अलावा ज्यादातर स्मार्टफोन बेस्ट हैं।