Safest Medicine For Fever: बुखार आने पर लोग पैरासिटामोल दवा ले सकते हैं. यह दवा ओवर द काउंटर आसानी से मिल जाती है और सबसे सुरक्षित मानी जाती है. आज डॉक्टर से जानेंगे कि अचाक बुखार आने पर कौन सी दवा ली जा सकती है और कौन सी दवा नहीं लेनी चाहिए.
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Best Medicine For Viral Fever: बरसात के मौसम में वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इस मौसम में सर्दी-खांसी और बुखार की समस्या बढ़ जाती है. कई बार लोगों को ऑफिस में काम करते-करते अचानक बुखार आ जाता है और वे परेशान हो जाते हैं. ऐसी कंडीशन में उन्हें समझ नहीं आता है कि कौन सी दवा लेनी चाहिए. कई बार लोग गलत दवाएं भी इस्तेमाल कर लेते हैं, जिससे उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ सकती है. आज डॉक्टर से जानेंगे कि अचानक बुखार आने पर कौन सी दवा लेना सुरक्षित माना जा सकता है.
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नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत ने News18 को बताया कि इस वक्त वायरल इंफेक्शन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इससे लोगों को सर्दी-जुकाम, गले में खराश और बुखार की समस्या होने लगती है. अगर किसी को अचानक बुखार आ जाए और सर्दी-जुकाम के लक्षण नजर आने लगें, तो पैरासिटामोल टेबलेट ले सकते हैं. नाक बहने और छींक की परेशानी ज्यादा हो, तो कोई एंटी-एलर्जिक दवा भी ले सकते हैं. बुखार और बॉडी पेन से छुटकारा दिलाने के लिए पैरासिटामोल लेना ही सबसे सुरक्षित माना जाता है.
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डॉक्टर सोनिया रावत ने बताया कि अचानक बुखार आने पर लोगों को एंटीबायोटिक दवाएं लेने से बचना चाहिए. वायरल इंफेक्शन होने पर एंटीबायोटिक दवाएं लेना नुकसानदायक हो सकता है. इन दवाओं को बिना जरूरत के लेने से शरीर में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस पैदा हो सकता है और कुछ अन्य साइड इफेक्ट भी नजर आ सकते हैं. कुछ लोग बुखार और बॉडी पेन होने पेनकिलर्स लेना शुरू कर देते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं करना चाहिए. पैरासिटामोल एक ऐसी दवा है, जो बुखार के साथ पेनकिलर का काम भी करती है. इसे लेने से पेट इरिटेट नहीं होता है और लिवर को भी नुकसान नहीं होता है.
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो सर्दी-जुकाम, बुखार और खांसी की वजह वायरल इंफेक्शन है, तो इसे ठीक होने में करीब 5 से 7 दिनों का वक्त लग सकता है. हालांकि कई बार लोगों को इससे ज्यादा दिनों तक बुखार आता रहता है. ऐसी कंडीशन में लोगों को डॉक्टर से मिलकर जांच करानी चाहिए. बरसात के मौसम में वायरल फीवर के अलावा बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन समेत कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इन परेशानियों का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट कराना जरूरी होता है. इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, टाइफाइड के केस बढ़ जाते हैं.