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सिबिल स्कोर को लेकर बदला नियम, लोन लेने वालों पर क्या होगा असर?

नए नियम के तहत अब बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (NBFC) को ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर हर 15 दिन में अपडेट करना होगा। उन्हें हर दो सप्ताह में ग्राहकों की क्रेडिट जानकारी जैसे कि उसने समय पर कर्ज चुकाया है या नहीं क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों (CIC) को भेजनी होगी। CIC उस जानकारी को तेजी से अपडेट करेंगी। आइए जानते हैं कि इस बदलाव का क्या असर होगा।

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बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। CIBIL यानी क्रेडिट स्कोर की कर्ज लेते वक्त अहमियत काफी बढ़ जाती है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है और आप बाकी पैमानों पर भी खरे उतरते हैं, तो आपको झटपट लोन मिल जाएगा। लेकिन, क्रेडिट स्कोर खराब होने पर कर्ज या क्रेडिट कार्ड मिलने में काफी दिक्कत आती है। कई बार तो बैंक या NBFC सीधे मना ही कर देते हैं।

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अब रिजर्व बैंक ने क्रेडिट स्कोर को लेकर बैंकों और वित्तीय कंपनियों के लिए नया नियम जारी किया है। इसका एलान पिछले दिनों आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया। आइए जानते हैं कि नया नियम क्या है और इसका बैंकों के साथ ग्राहकों पर क्या प्रभाव होगा।

15 दिन में अपडेट करना होगा क्रेडिट स्कोर

नए नियम के तहत अब बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (NBFC) को ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर हर 15 दिन में अपडेट करना होगा। उन्हें हर दो सप्ताह में ग्राहकों की क्रेडिट जानकारी, जैसे कि उसने समय पर कर्ज चुकाया है या नहीं, क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों (CIC) को भेजनी होगी। CIC उस जानकारी को तेजी से अपडेट करेंगी। इससे बैंकों और ग्राहकों, दोनों को फायदा होगा।

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कस्टमर का सिबिल स्कोर हर महीने की 15 तारीख और महीने के आखिर में अपडेट किया जा सकता है। क्रेडिट इंस्टीट्यूसन (CI) और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां (CIC) चाहें, तो 15 दिनों के अंतराल में डेटा अपडेट करने के लिए खुद से भी कोई तय तारीख निश्चित कर सकती हैं।

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बैंक और ग्राहकों को कैसे मिलेगा लाभ

आरबीआई का नया नियम बैंकों के साथ ग्राहकों के लिए भी फायदेमंद होगा। बैंक और NBFC जल्दी क्रेडिट स्कोर अपडेट होने से तय कर बेहतर तरीके से फैसला कर पाएंगे कि किसे कर्ज देना है और किसे नहीं। अगर कोई ग्राहक लोन पर डिफॉल्ट करता है, तो उसका पता 15 दिन के भीतर ही चल जाएगा।

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इससे ग्राहकों को भी फायदा होगा, क्योंकि उनका क्रेडिट स्कोर जल्दी अपडेट हो जाएगा। इससे खराब क्रेडिट स्कोर जल्दी पता कर पाएंगे कि उनका क्रेडिट स्कोर सुधर रहा या नहीं। वहीं, अच्छे क्रेडिट स्कोर का जोखिम मूल्यांकन अधिक सटीकता से होगा और उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकेगा।

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