अदालत ने डकैती के क्रम में हुई हत्या के 36 साल पुराने मामले में जीवित बचे दोनों आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने मंगलवार को दोनों आरोपितों को बरी करने का आदेश दिया। मामले में डीजीपी के आदेश के बावजूद पुलिस कांड के अनुसंधानकर्ता व पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक की गवाही नहीं करा सकी।
ये भी पढ़ें– HDFC Bank शेयर आज क्यों 3% से ज्यादा फिसला? ये है सबसे बड़ी वजह
जागरण संवाददाता, गोपालगंज। बिहार के गोपालगंज जिले में अदालत ने डकैती के क्रम में हुई हत्या के 36 वर्ष पुराने मामले में जीवित बचे दो आरोपितों को बरी कर दिया।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) मानवेंद्र मिश्र की अदालत ने मंगलवार को बिरछा साह हत्याकांड के आरोपित मोहर दास एवं गोपाल साह को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया।
इससे पहले अभियोजन पक्ष से एपीपी जयराम साह तथा बचाव पक्ष से अधिवक्ता विजय कुमार और राजेश पाठक ने अपनी-अपनी दलीलें दीं।
हाईकोर्ट ने 3 माह में सुनवाई पूरी करने का दिया था आदेश
विदित हो कि पटना उच्च न्यायालय ने तीन माह में इस मामले की सुनवाई पूरी करने का आदेश पूर्व में दिया था।
उसके बाद बिहार पुलिस मुख्यालय ने पुलिस अधीक्षक को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
हालांकि, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के आदेश के बाद भी पुलिस इस कांड के अनुसंधानकर्ता व पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक की गवाही नहीं करा सकी।
ये भी पढ़ें– Solve Plastic Products IPO: पहले दिन ही पूरी तरह सब्सक्राइब, अब तक 1.60 गुना भरा इश्यू
वहीं, अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए गवाह रामजी राय, अवधेश गिरी एवं विपिन पंडित भी पक्षद्रोही हो गए। सुनवाई के क्रम में चार आरोपितों का निधन हो चुका है।
172 तारीखें, नहीं दिला सके पिता के हत्यारोपितों को सजा
पिता बिरछा साह के हत्यारों को सजा दिलाने का पुत्र का सपना 36 वर्षों बाद टूट गया। अदालत का आदेश सुनने के बाद उनके पुत्र गणेश साह फफक पड़े।
ये भी पढ़ें– Stocks in News : आज Wipro, Nykaa, NMDC, Ola Electric समेत इन शेयरों में रहेगा एक्शन, इंट्राडे में रखें नजर
उन्होंने बताया कि घटना के दिन वे 34 वर्ष के थे। अब 69 वर्ष के हो गए हैं। अब तक 172 तारीखों पर कोर्ट में दौड़ते रहे, ताकि हत्यारोपितों को सजा मिल सके, लेकिन उन्हें सजा नहीं ही मिली।