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Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन पर क्यों भद्राकाल में नहीं बांधनी चाहिए राखी, जानें कौन हैं भद्रा?

रक्षाबंधन का त्योहार सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima 2024) पर मनाया जाता है। इस अवसर पर बहन अपने भाई की कलाई पर शुभ मुहूर्त में राखी बांधती हैं। इस दौरान भाई बहन को उपहार देते हैं। वर्ष 2024 में रक्षाबंधन पर भद्रा (Bhadra Mein Rakhi Kyu Nhi Bandhi Jati) का साया रहेगा। माना जाता है कि भद्राकाल के दौरान राखी बांधना वर्जित है।

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Raksha Bandhan 2024: सनातन धर्म में कई खास पर्व मनाए जाते हैं, जिनका विशेष महत्व है। इनमें रक्षाबंधन का त्योहार भी शामिल है। रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता को दर्शाता है। पंचग के अनुसार, यह पर्व हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। माना जाता है कि भद्रा ( Raksha Bandhan Bhadra Kaal) के समय राखी नहीं बांधनी चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और भद्रा के समय के बारे में।

कौन है भद्रा? (Who is Bhadra)

पुराणों के अनुसार, भद्रा न्याय के देवता शनि देव की बहन यानी सूर्यदेव की पुत्री है। ऐसा कहा जाता है कि भद्रा का स्वभाव क्रोधी है। भद्रा के स्वभाव को काबू में करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भद्राकाल के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित है। भद्राकाल के समापन के बाद शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इसलिए रक्षाबंधन पर राखी नहीं बांधी जाती है।

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कब है रक्षाबंधन 2024 (Kab Hai Raksha Bandhan 2024)

पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अगस्त को देर रात 03 बजकर 43 मिनट तक है। इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। आसान शब्दों में कहें तो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सावन पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को देर रात 03 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 19 अगस्त को रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन पर भद्रा कब से कब तक रहेगी? (Raksha Bandhan 2024 Bhadra Time)

पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर भद्रा की शुरुआत सुबह 06 बजकर 04 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन दोपहर 01 बजकर 32 मिनट पर होगा।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan Shubh Muhurat)

सावन पूर्णिमा पर राखी बांधने का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से लेकर 04 बजकर 20 मिनट तक है। इसके बाद प्रदोष काल में शाम 06 बजकर 56 मिनट से लेकर 09 बजकर 08 मिनट तक है। इन दोनों समय में अपनी सुविधा अनुसार, बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।

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बहनें राखी बांधते समय पढ़ें ये मंत्र

ऊँ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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